फ्रीबीज को लेकर दायर नई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. साथ ही कोर्ट ने याचिका को मूल याचिका के साथ संलग्न कर दिया है. यह याचिका कर्नाटक के रहने वाले शशांक श्री धर की ओर से दायर की गई है. याचिका पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है. याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि चुनाव से ठीक पहले मुफ्त वाली स्कीमों के ऐलान को रिश्वत घोषित किया जाना चाहिए. यह वोटर को एक तरह से रिश्वत का झांसा देना है.
याचिका में यह भी मांग की गई है कि चुनाव से ठीक पहले जारी होने वाले मुफ्त की योजनाओं की घोषणा पर रोक लगनी चाहिए. ऐसी रोक सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि सभी राजनीतिक दलों पर लागू होनी चाहिए. आगामी महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा सभा चुनाव से पहले पार्टियों ने लोक लुभावने वायदे करना शुरू कर दिया है. दोनों राज्यों के सत्ताधारी दलों ने महिलाओं को हर महीने 2000 रुपये तक के कैश देने का वायदा किया गया है. साथ ही टोल टैक्स में छूट देने की बात कही गई है.
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इससे पहले 2022 में बीजेपी नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने फ्री बीज को लेकर याचिका दायर कर रखी है. उपाध्याय की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि मतदाताओं से अनुचित राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए लोक लुभावन उपायों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि वे संविधान का उल्लंघन करते है और चुनाव आयोग को उचित निवारक उपाय करने चाहिए. याचिका में अदालत से यह भी मांग की गई है कि चुनाव से पहले सार्वजनिक धन से अतार्किक मुफ्त का वादा मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित करता है. समान अवसर को परेशान करता है और चुनाव प्रक्रिया की शुद्धता को खराब करता है.
-भारत एक्सप्रेस
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