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भारतीय रेलवे में सफाई पर उठे सवाल, महीने में एक बार धुले जाते हैं ट्रेन में मिलने वाले कंबल

भारतीय रेलवे एक बड़ा परिवहन नेटवर्क है, यह दुनिया के सबसे बड़े परिवहन नेटवर्क में से एक है. हर दिन लाखों यात्री इसकी सेवाएं लेते हैं. इस कारण अगर सफाई में कोई कमी आती है, तो यह बड़ी समस्या बन सकती है.

हाल ही में एक रिपोर्ट ने रेलवे की सफाई पर सवाल उठाए हैं. रेल मंत्रालय ने एक RTI के जवाब में बताया है कि यात्रियों को जो चादरें दी जाती हैं, उन्हें हर बार धोया जाता है. लेकिन ऊनी कंबल को “कम से कम महीने में एक बार, preferably दो बार” धोया जाता है. यह इस पर निर्भर करता है कि लॉजिस्टिक्स और क्षमता क्या है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सफाई कर्मचारी बताते हैं कि कंबल केवल तभी धोए जाते हैं जब वे दागदार या बदबूदार होते हैं. यह जानकारी रेलवे मंत्रालय के पर्यावरण और सफाई प्रबंधन के अनुभाग अधिकारी रिशु गुप्ता द्वारा दी गई थी.

गंदे कंबलों से फैल सकती हैं बीमारियां

गंदे कंबल, खासकर जब कई लोग उन्हें इस्तेमाल करते हैं, स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकते हैं. गंदे ऊनी कंबल में एलर्जेंस और कीटाणुओं का जमाव हो सकता है. ऊन के रेशे धूल के कण और फफूंदी को पकड़ सकते हैं, जो एलर्जी को बढ़ावा देते हैं. जब आप गंदा कंबल इस्तेमाल करते हैं, तो ये कण हवा में फैल सकते हैं. इससे छींकने, नाक बंद होने, आंखों में खुजली और त्वचा पर चकत्ते जैसी समस्याएं हो सकती हैं. अस्थमा या सांस की समस्याओं वाले लोगों के लिए यह और भी मुश्किल हो सकता है.

गंदा ऊनी कंबल संवेदनशील त्वचा को और भी परेशान कर सकता है. जिन लोगों को पहले से त्वचा की समस्याएं हैं, जैसे एक्जिमा, वे गंदे कपड़ों के संपर्क में आने पर और परेशान हो सकते हैं. गंदे ऊनी कंबल बैक्टीरिया और फंगस के लिए भी अनुकूल होते हैं. अगर कंबल नियमित रूप से नहीं धोए जाते, तो उसपर पसीना, शरीर के तेल औरमैल इकट्ठा हो सकते हैं. इससे बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं, जो त्वचा संक्रमण का कारण बन सकते हैं.

लोगों की प्रतिक्रियाएं

भारतीय रेलवे के RTI जवाब पर कई लोगों की प्रतिक्रियाएं आई हैं. एक व्यक्ति ने Reddit पर लिखा, “हर यात्रा के बाद ऊनी कंबल धोना संभव नहीं है. अगर किया गया, तो यह महंगा होगा. डबल चादरें दी जाती हैं, जिन्हें हर बार धोया जाता है, बस चादर का इस्तेमाल करें और फिर कंबल का.”

दूसरे ने कहा, “आपको कंबल सीधे नहीं इस्तेमाल करना चाहिए. पहले सफेद चादर से सोने के स्थान को ढकें, फिर दूसरी सफेद चादर से खुद को ढकें और फिर कंबल ओढें. मुझे लगा यह आम बात है.”

एक और व्यक्ति ने कहा, “हर ट्रेन के लिए ऊनी कंबल रोज साफ करना और सुखाना मुश्किल है. इसलिए पैसेंजर्स को दो सफेद चादरें दी जाती हैं जो हमेशा साफ होती हैं. यह हर देश में सामान्य प्रथा है.”

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-भारत एक्सप्रेस

Prashant Rai

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