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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को मैसूरु में कहा कि कोविड-19 पर देश की प्रतिक्रिया इस बात का प्रदर्शन है कि कैसे देश तनावपूर्ण परिस्थितियों में उचित तरीके से प्रतिक्रिया दे सकता है और इसकी पहुंच ने ग्लोबल गुडविल अर्जित करने में मदद की. वे शहर में थिंकर्स फोरम द्वारा आयोजित संवाद कार्यक्रम में बोल रहे थे. जयशंकर ने कहा कि महामारी ने देश की क्षमताओं का परीक्षण किया और प्रतिक्रिया ने साबित कर दिया कि देश में न केवल भारत और विदेशों में अपने नागरिकों की देखभाल करने की क्षमता है, बल्कि दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए खड़े होने की क्षमता है और यह एक सभ्यता राज्य के उदय का सूचक है. और अपना स्थान पुनः प्राप्त कर रहा है.
एस. जयशंकर ने कहा कि 2020 की शुरुआत में देश पर्याप्त वेंटिलेटर या यहां तक कि मास्क के निर्माण के संबंध में भी तैयार नहीं था, लेकिन 2020 के मध्य तक भारत बाकी दुनिया को दवाओं का निर्यात कर रहा था, श्री जयशंकर ने कहा. उन्होंने कहा, ‘हमने कई विकसित देशों सहित 200 में से 150 देशों को दवाएं भेजीं.
रियल भेदभाव COVID-19 के लिए टीके थे और श्री जयशंकर ने कहा कि भारत एस्ट्राजेनेका का दुनिया का सबसे बड़ा निर्माता था, जो उन्होंने कहा, यह उस पैमाने और दक्षता दोनों का सूचक था जिसके साथ यह भारत में किया जा सकता है. लेकिन दूसरी वैक्सीन Covaxin भारत में ही नहीं बनाई गई बल्कि भारत में ही इसका आविष्कार किया गया था. उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान भारत ने जो किया और सबसे बड़ा प्लस पॉइंट वह सद्भावना है जिससे देश को बाकी दुनिया से जल्दी मदद मिली.
संघर्ष में फंसे सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए हाल ही में संपन्न ऑपरेशन कावेरी का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि यह अब तक का सबसे खतरनाक था लेकिन सूडान और सूडान में मजबूत संबंधों वाले विभिन्न देशों के बीच इसके प्रभाव के कारण भारत इसे हटा सका. वहां लड़ने वाली सेना. उन्होंने कहा कि सूडान से निकाले गए 4,000 भारतीयों में से लगभग 10 से 12% कर्नाटक से थे.
2022 में ऑपरेशन गंगा यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए लॉन्च किया गया था, जिस पर रूस ने आक्रमण किया था, सिस्टम स्थापित करने की भारत की क्षमताओं और बाकी दुनिया के साथ देश के संबंधों का एक और परीक्षण था. उन्होंने कहा कि इसके लिए न केवल समन्वय और तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है, बल्कि प्रेरणा की भी आवश्यकता है, उन्होंने कहा और बताया कि महामारी के दौरान, विभिन्न देशों से 70 लाख भारतीयों को घर लाया गया था. जयशंकर ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में देश ने जबरदस्त उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन उस अवधि के दौरान एक क्षेत्र जिसे अधिक ताकत और समर्थन मिल सकता था, वह कृषि, प्रौद्योगिकी और विनिर्माण उद्योग के क्षेत्र थे.
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