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भारतीय संसद में व्यवधान पर सद्गुरु की चिंता: लोकतंत्र और विकास के लिए दिया एक महत्वपूर्ण संदेश

आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev) ने भारतीय संसद में बढ़ते व्यवधानों पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने सोशल मीडिया (Social media) प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट साझा करते हुए इस स्थिति को देश के लोकतांत्रिक आदर्शों के लिए निराशाजनक बताया. उन्होंने लिखा, “भारतीय संसद में व्यवधान देखना अत्यंत निराशाजनक है, विशेष रूप से तब, जब हम विश्व के लिए लोकतंत्र का प्रतीक बनने की आकांक्षा रखते हैं.”

सद्गुरु ने अपने संदेश में इस बात पर जोर दिया कि भारत के धन सृजनकर्ता और रोजगार प्रदाता, जो देश की प्रगति के मुख्य आधार हैं, उन्हें राजनीतिक बयानबाजी का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “यदि कोई विसंगतियां हैं, तो उन्हें कानून के दायरे में सुलझाया जा सकता है. लेकिन इन मुद्दों को राजनीतिक फुटबॉल बनाना न केवल अनुचित है, बल्कि इससे देश के आर्थिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.”

आरोप प्रत्यारोप

बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र लगातार हंगामे की भेंट चढ़ रहा है. इस वजह से कई महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा नहीं हो पा रही है. पक्ष-विपक्ष के लोग इसे लेकर एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. सत्तापक्ष के नेताओं का आरोप है कि विपक्ष के नेता सदन की कार्यवाही लगातार बाधित कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष के नेता लगातार इन आरोपों को सिरे से खारिज कर कहते हैं कि हम तो चाहते हैं कि सदन चले, लेकिन सत्तापक्ष के नेता ही हंगामा करके कार्यवाही बाधित कर रहे हैं.

विकास और उद्योग के महत्व पर जोर

सद्गुरु ने भारतीय व्यवसायों और उद्योगों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका विकास और सफलता भारत को “भव्य भारत” बनाने की कुंजी है. उन्होंने लिखा, “सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय व्यवसाय फलते-फूलें. यही एकमात्र तरीका है जिससे भारत अपनी पूरी क्षमता को प्राप्त कर सकता है और एक भव्य राष्ट्र के रूप में उभर सकता है.”

संसद के सुचारू संचालन की आवश्यकता

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि संसद का सुचारू संचालन और सकारात्मक चर्चा ही वह मार्ग है, जिससे भारत अपनी लोकतांत्रिक पहचान को और मजबूत कर सकता है. राजनीतिक मतभेदों को अलग रखते हुए देश को एकजुट होकर अपने उद्देश्यों की पूर्ति करनी चाहिए.

आर्थिक और सामाजिक प्रगति का संदेश

सद्गुरु का यह संदेश न केवल संसद के बेहतर संचालन की आवश्यकता को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी बताता है कि देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए राजनीतिक स्थिरता और व्यावसायिक विकास कितना महत्वपूर्ण है. उनका यह विचार हर नागरिक को प्रेरित करता है कि वह भारत को “भव्य भारत” बनाने की दिशा में अपना योगदान दें.


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-भारत एक्सप्रेस

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