Sheikh Hasina: बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना फिलहाल भारत में ही रहेंगी. खबर सामने आ रही है कि ब्रिटेन में शरण मिलने तक वह भारत में ही रहेंगी. सोमवार को भारत सरकार ने उनकी सरकार के पतन के बाद अंतरिम प्रवास की इजाजत दे दी है. तो दूसरी ओर इस घटना के बाद से ही बांग्लादेश में 49 साल पहले जो हुआ था, उसकी घटना तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, तो आइए जानते हैं आखिर तब क्या हुआ था बांग्लादेश में.
बता दें कि बांग्लादेश में 49 साल पहले हुई घटना की खबरों के पुराने अखबारों की कटिंग तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के बाद पहली बार तख्ता पलट हुआ था. तब भी सेना ने देश की बागडोर संभाली था. तब अपनी बहन के साथ विदेश से भारत में शरण लेने वाली शेख मुजीब की बेटी शेख हसीना दिल्ली में पौने छह साल तक रही थीं. ठीक उसी तरह से इस बार भी तख्ता पलट होने पर उनकी मदद भारत ने ही की है. तब के समय अखबारों में प्रकाशित खबरों में उस समय बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद सत्ता का संघर्ष को लेकर तमाम खबरें प्रकाशित की गई थी.
बता दें कि बांग्लादेश में 1975 में हुए तख्ता पलट के बाद शेख हसीना पहली बार भारत में पौने छह साल तक रहीं थीं. 18 मई 1981 को बांग्लादेश अपनी बेटी के साथ बांग्लादेश वापस लौटीं थीं. तब इंडियन एयरलाइंस के विमान से वह कोलकाता से ढाका एयरपोर्ट पहुंची थीं. तब अवामी लीग के नेताओं ने उनके बांग्लादेश लौटने पर स्वागत किया था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब वह बांग्लादेश लौटी थीं, उनकी वापसी के मात्र 12 दिन बाद ही बांग्लादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति जिया उर रहमान की हत्या चटगांव में कर दी गई थी. इस पर शेख हसीना ने अगरतला बार्डर से 31 मई 1981 को भारत में फिर से प्रवेश करना चाहा, लेकिन बांग्लादेश राइफल्स ने उन्हें अगरतला सीमा पर गिरफ्तार कर लिया था. इस बार भी शेख हसीना भारत में त्रिपुरा के अगरतला में ही हेलिकॉप्टर से उतरीं थीं.
बता दें कि बांग्लादेश में अवामी लीग की अध्यक्ष रही शेख हसीना ने जब से राजनीति की शुरूआत की तभी से ही वह छात्र आंदोलनों से घिरी रहीं. 11 अगस्त 1989 को उनके ऊपर दो ऑटो में सवार बंदूकधारियों ने हमला किया था. हालांकि इस घटना में वह बाल-बाल बची थीं. उनके ढाका के धानमंडी स्थित घर पर 28 गोलियां दागी गई थीं. दो हथगोले भी बरामद किए गए थे. छात्र लीग के युवकों ने उन पर यह हमला किया था. 1996 में वह पहली बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं थी बावजूद इसके छात्र आंदोलनों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा. इस बार भी बांग्लादेश में तख्ता पलट और उनके बांग्लादेश छोड़ने की वजह भी छात्र आंदोलन ही है.
अब से लेकर पिछली तमाम घटनाओं को देखते हुए माना जा रहा है कि बांग्लादेश की पांच बार प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना पर अगस्त का महीना भारी पड़ता रहा है. साल 1975 में अगस्त में उनके मां-पिता और तीन भाइयों की हत्या हुई तो वर्ष 1989 में उन पर अगस्त में ही जानलेवा हमला भी किया गया था. तो वहीं इस बार भी 4 और 5 अगस्त के प्रदर्शन के बाद तख्ता पलट के कारण उनको बांग्लादेश छोड़ना पड़ा है.
डेली सन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हसीना को ब्रिटेन में शरण प्राप्त करने तक भारत सभी तरह की सहायता प्रदान करेगा. उनके ब्रिटेन में स्थानांतरण तक, भारत में उनके प्रवास को केवल अस्थायी रूप से मंजूरी दी गई है.
अभूतपूर्व सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद सोमवार को हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और भारत के रास्ते लंदन जाने वाली हैं. अभी तक, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री को राजनीतिक शरण दिए जाने के संबंध में ब्रिटेन सरकार की ओर से कोई पुष्टि नहीं की गई है. हसीना वर्तमान में ब्रिटेन में शरण मांग रही हैं, उनके साथ उनकी बहन रेहाना भी हैं, जो ब्रिटेन की नागरिक हैं. बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान की छोटी बेटी रेहाना शेख हसीना की छोटी बहन भी हैं. उनकी बेटी ट्यूलिप सिद्दीक ब्रिटेन में लेबर पार्टी से संसद की सदस्य हैं. इस बीच, भारत सरकार के सूत्रों ने कहा कि नई दिल्ली ढाका में तेजी से हो रहे घटनाक्रम पर करीब से नजर रखे हुए है.
ढाका में बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने कहा कि हसीना ने इस्तीफा दे दिया है और अंतरिम सरकार जिम्मेदारी संभाल रही है. उन्होंने टेलीविजन पर दिए गए संबोधन में कहा, “मैं (देश की) सारी जिम्मेदारी ले रहा हूं. कृपया सहयोग करें.” सेना प्रमुख ने कहा कि उन्होंने राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की और उन्हें बताया कि सेना कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालेगी. पिछले दो दिनों में हसीना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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