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हैदराबाद का विलय रोकने के लिए निजाम ने यूरोप में ढूंढे थे हथियार..PAK भी था तैयार, लेकिन 5 दिन में पटेल के आगे पड़ा झुकना

Hyderabad Liberation Day History: सन् 1947 में जब भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली, उस वक्त कुल 565 छोटी-बड़ी रियासतें थीं. ज्यादातर रियासतों का कुछ ही दिनों के भीतर भारत में विलय हो गया. मगर, तीन रियासतों के शासक अड़ गए. ये रियासतें थीं— जम्मू कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़. हैदराबाद में उस वक्त निजाम का शासन था. वो भारत में हैदराबाद का विलय नहीं चाहता था.

देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल को जब पता चला कि निजाम आड़े आ रहा है, तो उन्होंने सैन्य कार्रवाई करने का फैसला किया. भारतीय सेना ने पटेल के निर्देश पर ‘ऑपरेशन पोलो’ की शुरुआत की. वो तारीख थी— 13 सितंबर 1948

एक पुरानी तस्वीर — हैदराबाद में भारतीय सेना

भारत में विलय को तैयार नहीं थे हैदराबाद के निजाम

शुरुआत में हैदराबाद का निजाम मीर उस्मान अली खान सरकार को आंखें दिखा रहा था. जब उस पर विलय का दबाव बनने लगा तो उसने सरकार से लड़ने के इरादे से हथियारों की तलाश में अपने लोगों को यूरोप तक भेजा. हालांकि, कहीं से उन्हें ऐसे हथियारों की खेप नहीं मिली. उस वक्त निजाम के सेनाध्यक्ष रहे जनरल एल. एदरूस ने यह सच्चाई अपनी किताब में लिखी.

एदरूस के मुताबिक, ‘हम हथियार की तलाश में यूरोप तक गए, लेकिन किसी ने हमें हथियार नहीं बेचा. इसकी वजह ये थी कि हैदराबाद स्वतंत्र देश नहीं था. हालांकि, निजाम का एक एजेंट ऑस्ट्रेलिया के तस्कर से हथियार खरीदने में सफल रहा और उसे हैदराबाद तक लाने के लिए राजी भी कर लिया.’


1947 में हैदराबाद रियासत भारत के सबसे अमीर राजघरानों में से एक थी. 82,698 वर्ग मील में फैली इस रियासत के निजाम मीर उस्मान अली खान दुनिया के सबसे अमीर शख्स माने जाते थे. निजाम के पास अपनी आर्मी, रेल और डाक विभाग था.


‘ऑपरेशन पोलो’ के दौरान भारतीय सेना.

5 दिन में इस तरह घुटनों पर आया था निजाम

सरदार पटेल को जब ये सूचना मिली कि निजाम मीर उस्मान अली खान विलय के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है और कत्लेआम की धमकी दे रहा है, तब भारतीय सेना की टुकड़ियां हैदराबाद में दाखिल होने लगीं. सेना का मुकाबला करने के लिए निजाम ने अपनी फौज के साथ-साथ रजाकारों को भी लड़ने भेजा. हालांकि, उनको भारतीय सेना के आगे घुटने टेकने पड़े. महज 5 दिनों में ही निजाम के होश ठिकाने आ गए. उस लड़ाई में निजाम के 807 सैनिक और 1373 रजाकार मारे गए. वहीं, भारतीय सेना के 66 जवान शहीद हुए. अंतत: 17 सितंबर 1948 को हैदराबाद रियासत का भारत में विलय कराया गया.

हैदराबाद राज्य के 7वें शासक मीर उस्मान अली ने 37 वर्षों तक शासन किया.

पाकिस्तान हवाई हमला करना चाहता था, डर से रुका

31 मई 2010 को द इंडियन एक्सप्रेस में इंदर मल्होत्रा ने आर्टिकल में लिखा, ”जब भारतीय सेना हैदराबाद में घुसी थी तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने अपनी डिफेंस काउंसिल की बैठक बुलाई थी और पूछा था कि क्या हम हैदराबाद में आसमान से कोई कार्रवाई कर सकते हैं? तो सैन्यअधिकारियों ने भारत की ताकत का आकलन करते हुए कहा था— नहीं! हमें वहां बम नहीं गिराने चाहिए.”

ऑपरेशन पोलो के बाद हैदराबाद में सरदार पटेल का स्वागत करते निजाम

17 सितंबर को मनता है हैदराबाद स्वाधीनता दिवस

17 सितंबर का दिन उसी साल (1948) से देश में ‘हैदराबाद स्वाधीनता दिवस’ के रूप में मनाया जाने लगा. यह वो दिन था जब निजाम को ‘हैदराबाद का भारत में विलय’ दस्तावेज पर दस्तखत करने पड़े. भारतीय सेना की उस कार्रवाई को ‘ऑपरेशन पोलो’ कहा गया.

— भारत एक्सप्रेस

Vijay Ram

ऑनलाइन जर्नलिज्म में रचे-रमे हैं. हिंदी न्यूज वेबसाइट्स के क्रिएटिव प्रेजेंटेशन पर फोकस रहा है. 10 साल से लेखन कर रहे. सनातन धर्म के पुराण, महाभारत-रामायण महाकाव्यों (हिंदी संकलन) में दो दशक से अध्ययनरत. सन् 2000 तक के प्रमुख अखबारों को संग्रहित किया. धर्म-अध्यात्म, देश-विदेश, सैन्य-रणनीति, राजनीति और फिल्मी खबरों में रुचि.

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