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वोटिंग के आंकड़े को तत्काल जारी करने की मांग वाली याचिका पर SC ने आदेश देने से किया इनकार, जानें क्या कहा?

वोटिंग के आंकड़े को तत्काल जारी करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा फिलहाल देश में चुनाव चल रहे हैं. मौजूदा स्थितयों को रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को टाल दिया है. कोर्ट ने याचिका दायर करने के टाइमिंग पर भी सवाल खड़ा किया.

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे से पूछा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद यह याचिका दायर क्यों की गई? हम बहुत तरह की जनहित याचिकाएं देखते हैं कुछ पब्लिक इंटरेस्ट में होती हैं कुछ पैसे इंटरेस्ट में होती हैं! लेकिन हम आपको ये कह सकते हैं कि आपने यह याचिका सही समय और उचित मांग के साथ दायर नहीं किया है.

चुनाव आयोग के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है. चुनाव आयोग की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान लगातार आयोग को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.  जबकि एडीआर की तरफ से दवे कहा कि 2019 की याचिका और मौजूदा अर्जी में बहुत अंतर है. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम देखेंगे.

आयोग को बदनाम करने की साजिश

चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि आशंकाओं के आधार पर फर्जी आरोप लगाए जा रहे हैं. जबकि हाल ही सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया था जिसमें तमाम पहलू स्पष्ट हुए थे. आयोग ने याचिकाकर्ता पर आरोप लगाया कि कहा कि सुबह फैसला आता है और शाम को वही लॉबी नया मुद्दा लेकर आयोग को बदनाम करने में जुट जाती है. इस अर्जी को भारी जुर्माने के साथ खारिज किया जाना चाहिए.

आयोग ने कहा कि नियम के मुताबिक फॉर्म 17C को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले से पहले सुनवाई के दौरान सभी पहलू चर्चा में आए थे. आयोग ने कहा कि बारंबार यह लॉबी आयोग की छवि खराब करने और चुनावी प्रक्रिया को लेकर भ्रम फैलाने में जुटी है. जबकि 329B अनुच्छेद में साफ है कि चुनाव के दौरान ऐसी अर्जी पर सुनवाई नही हो सकती है. चुनाव आयोग ने अपने प्रेस नोट में चुनावी प्रक्रिया में आशंकाओं और भ्रम फैलाने को लेकर स्थितियों को स्पष्ट किया था.

आयोग ने कहा कि फॉर्म 17C को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है. 5 से 6 प्रतिशत का फाइनल डेटा में फर्क है.आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसी अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है. लगातार कुछ लोगों द्वारा चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाया जा रहा है. लोगों को भ्रमित किया जा रहा है.

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8 लाख लोग ले रहे इस प्रक्रिया में हिस्सा

आयोग ने कोर्ट से कहा कि यह याचिकाएं इस कारण भी हो सकती हैं कि हाल ही में मतदान प्रतिशत में गिरावट आई है, क्योंकि ये केवल भ्रम पैदा करते हैं. चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की ओर से प्रक्रिया की निगरानी के लिए लगभग 8 लाख लोग इस प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं. जस्टिस दत्ता ने कहा कि यहां 2019 की याचिका में अलग अर्जी में नई मांग की गई है. यह कैसे हो सकता है. फिर आपके आवेदन चुनाव आयोग के प्रेस नोटों पर आधारित हैं.

आज यदि कोई मुकदमा दायर किया जाता है और मुकदमे के लंबित रहने के दौरान बाद के घटनाक्रम होते हैं, तो यदि अदालत कार्यवाही की बहुलता से बचना चाहती है तो अदालत को मुकदमे में और क्या कदम उठाने चाहिए. इसके बाद क्या अदालत अंतरिम में कुछ आदेश दे सकती है, जो एक अन्य याचिका में अंतिम मांग है. आगे आपने यह अर्जी क्यों दायर की. 2019 और 2024 की मांग के बीच क्या समानता है और यदि आप कहते हैं कि समानता है तो याचिका में संशोधन किया जाना चाहिए था.

आयोग ने क्या कहा?

आयोग ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा कहा जाता है कि आयोग ने घटिया जवाबी हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है. बेंच ने सुप्रीम कोर्ट से पूर्व के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव के दौरान प्रक्रिया में बेजा दखल नहीं दिया जाना चाहिए. एडीआर की तरफ से सिंघवी ने अप्रत्याशित परिस्थितियों के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी मांग की जा सकती है. दवे ने कहा कि राजनीति में अपराधीकरण आदि को एडीआर द्वारा ही सामने लाया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने यह भी नोट किया था. हमने केवल यह कहा कि उस एक याचिका की प्रामाणिकता संदेह में है. गौरतलब है कि एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से याचिका दायर कर मांग की है कि मतदान के 48 घंटों के भीतर लोकसभा चुनाव 2024 में डाले गए वोटों की संख्या सहित सभी मतदान केंद्रों पर मतदान का अंतिम प्रामाणिक डाटा सार्वजनिक करने की मांग की है. याचिका में मांग की गई है कि मतदान समाप्ति के बाद चुनाव आयोग का अंतिम आंकड़ा अपनी वेबसाइट पर फॉर्म 17 सी की स्कैन की गई प्रतियों के साथ जारी करे.

-भारत एक्सप्रेस 

गोपाल कृष्ण

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