परमानेंट कमीशन की मांग वाली महिला लेफ्टिनेंट कर्नल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने परमानेंट कमीशन देने का निर्देश दिया है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने यह आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हम अनुच्छेद 142 के तहत निर्देश देते हैं कि अपील करने वाली महिला अधिकारी को परमानेंट कमीशन दिया जाए. साथ ही कोर्ट ने 2014 के फैसले के बाद दूसरे सभी समान पद वाले उम्मीदवारों को समान लाभ देने को भी कहा है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हमारा मानना है कि उन्हें गलत तरीके से स्थायी कमीशन का लाभ नही दिया गया और तरीके का एएफटी फैसला उन पर लागू होता है.
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि यह एक अच्छी तरह से स्थापित सिद्धांत है कि जब एक पीड़ित ने सरकार के आदेश के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया और राहत हासिल की तो दूसरे लोगों पर भी फैसला लागू होगा, जो इसी तरह की मांग रखते है. कोर्ट ने कहा उन सैनिकों के बारे में भी सोचा जाना चाहिए जो सियाचिन में है. यह याचिका सुप्रीता चंदेल की ओर से दायर की गई है.
इससे पहले नवंबर 2021 में सुनवाई कोर्ट ने 11 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि हम सेना और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करेंगे. कोर्ट ने कहा था कि सेना अपने क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट हो सकती है, लेकिन यह संवैधानिक अदालत अपने क्षेत्राधिकार में सुप्रीम है. जिसके बाद सेना ने नरम रुख अख्तियार करते हुए कहा था कि 11 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने को तैयार है.
कोर्ट ने यह भी कहा था कि जो महिला अधिकारी कोर्ट के समक्ष नही आई है, लेकिन कोर्ट ने आदेश के दायरे में आती है और पात्रता रखती है, उन्हें भी स्थायी कमीशन दिया जाएगा.
-भारत एक्सप्रेस
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