4th Red Sea International Film Festival: भारतीय अभिनेता रणबीर कपूर ने कहा है कि भगवान राम का रोल करना हर अभिनेता का सपना होता है. रणबीर कपूर सऊदी अरब के जेद्दा में आयोजित चौथे रेड सी अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में दर्शकों से संवाद कर रहे थे.
उन्होंने कहा, ‘नितेश तिवारी की फिल्म ‘रामायण’ में भगवान राम का रोल करना मेरे लिए सपने पूरे होने जैसा है. एक अभिनेता होने के नाते मुझे इससे बड़ी खुशी नहीं मिल सकती. मुझे पता है कि भगवान राम का रोल करना आसान काम नहीं है. हालांकि इसमें जोखिम भी बहुत है, क्योंकि सिनेमा में मेरी इमेज कुछ दूसरी तरह की हैं, लेकिन मुझे जोखिम उठाना पसंद है. हमेशा सुरक्षित रहना एक तरह की ऊब (बोरियत) पैदा करता है. मैंने संदीप वांगा रेड्डी की ‘एनिमल’ में भी तो जोखिम उठाया है.’
एनिमल फिल्म क्यों देखें
यह पूछे जाने पर कि उनकी फिल्म ‘एनिमल’ समाज में क्या संदेश देती हैं और तब जबकि वे खुद पिता बन गए हैं, इस फिल्म से बच्चे क्या सीखेंगे, उन्होंने कहा, ‘यह बहुत जरूरी सवाल है. जब इस फिल्म के निर्देशक संदीप वांगा रेड्डी ने मुझे इसकी स्क्रिप्ट दी और मैंने जब पढ़ा तो सचमुच में डर गया था, लेकिन एक अभिनेता के रूप में इस स्क्रिप्ट में मेरे लिए बहुत जोखिम था, क्योंकि अब तक मेरी छवि एक रोमांटिक हीरो की थी, पर मैंने जोखिम उठाया. जब मैंने एनिमल देखी तो खुद को देखकर आश्चर्य में पड़ गया. मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि इस फिल्म को हिंसा या दूसरे नजरिये से देखने की बजाय एक पिता और पुत्र की भावनात्मक कहानी के रूप में देखना चाहिए.’
रणबीर ने अपनी आने वाली कुछ फिल्मों के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि वे संजय लीला भंसाली की महत्वाकांक्षी फिल्म ‘लव एंड वार’ में भी मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘संजय लीला भंसाली एक जीनियस डायरेक्टर हैं. मैंने उन्हीं के साथ सहायक निदेशक के रूप में अपना फिल्मी करिअर शुरू किया था.’
रणबीर ने कहा कि वे ‘एनिमल पार्ट 2’ भी कर रहे हैं, जो ‘एनिमल पार्क’ के नाम से बनाई जा रही है. अयान मुखर्जी की ‘ब्रह्मास्त्र’ के दूसरे भाग में भी वे काम कर रहे हैं. उन्होंने कई बार अपनी उम्र का जिक्र किया और कहा कि उनके दादा राज कपूर केवल 24 साल में अभिनेता के साथ-साथ निर्देशक और प्रोड्यूसर भी बन गए थे और वे 42 साल में भी वैसा नहीं बन पाए. उन्होंने बताया कि इस समय वे बड़े बजट की अपनी चार-पांच फिल्मों को पूरा करने में व्यस्त हैं.
पिता ऋषि कपूर को लेकर क्या कहा
उन्होंने अपने पिता ऋषि कपूर को याद करते हुए कहा, ‘वे हमेशा अपने काम में व्यस्त रहते थे पर एक बार मुझे उनके साथ चार महीने रहने का मौका मिला. हम एक हीं कमरे में सोते थे. वे थोड़े गरम मिजाज (शार्ट टेंपर) के थे. मैं उन्हें असिस्ट कर रहा था. उस दौरान मैंने इतना कुछ सीखा जितना न्यूयॉर्क के ली स्ट्रासबर्ग स्कूल की पढ़ाई के दौरान भी नहीं सीख सका था.’
रणबीर ने कहा कि वे बचपन में सोचते थे कि सेना में भर्ती हो जाएंगे या कराटे के कोच बनेंगे पर नियति ने उन्हें अभिनेता बना दिया. कई बार नियति आपको खुद चुन लेती है. न्यूयॉर्क के ली स्ट्रासबर्ग स्कूल में दाखिला लेना पड़ा, हालांकि मुझे मेथड एक्टिंग बिलकुल पसंद नहीं है, लेकिन इससे एक फायदा हुआ कि मैं दुनिया भर के लोगों से मिला और तरह तरह की संस्कृतियों को जानने का मौका मिला. वहां शॉर्ट फिल्म की तो 500 डॉलर मिले. वापस आकर संजय लीला भंसाली को ‘ब्लैक’ फिल्म में असिस्ट किया. मेरी असली शिक्षा इसी दौरान हुई.
उन्होंने कहा कि वे एक सुविधा संपन्न परिवार से आते हैं फिर भी सिनेमा में अच्छा करने के लिए बहुत मिहनत और तैयारी करनी पड़ी. उन्होंने कहा कि अब वे 42 साल के हो गए हैं. उन्होंने पिछले 30 साल तक रोज किताबें पढ़ीं और दुनिया भर की फिल्में देखीं. विश्व सिनेमा में मेरी सबसे पसंदीदा फिल्म है इटली के रोबेर्तो बेनिगनी की ‘लाइफ इज ब्यूटीफुल.’
उन्होंने कहा कि वे अपनी तरह से रोल चुनते हैं. उनके पिता ऋषि कपूर ने कभी भी उन पर कुछ भी नहीं थोपा और उन्हें अपने बारे में फैसले लेने की पूरी आजादी दी. उन्होंने कहा कि उनकी कुछ फिल्में कुछ कारणों से भले ही न चली हों पर दर्शकों ने उन्हें भरपूर प्यार दिया. दर्शकों ने उन पर भरोसा बनाए रखा कि मुझमें कुछ संभावना तो है कुछ अच्छा करने की. असफलताओं ने बहुत कुछ सिखाया. दर्शकों का प्यार सबसे बड़ा पुरस्कार है. वैसे भी अच्छी फिल्म बनाने का कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं है. उन्होंने कहा कि वे कभी भी जोखिम उठाने से परहेज नहीं करते. उनकी फिल्म रॉकेट सिंह का एक संवाद है कि स्पाइडर मैन को भी जोखिम उठाना पड़ता है.
‘रॉकस्टार’ और ‘बर्फी’ का अनुभव
इम्तियाज अली की फिल्म ‘रॉकस्टार’ में अपनी भूमिका पर उन्होंने कहा कि वह फिल्म एक लाइफटाइम अनुभव रही हैं. इसके गीत इरशाद कामिल ने लिखा था और इम्तियाज का विजन था. फिल्म बनने के दौरान संगीतकार एआर रहमान के साथ चेन्नई में बिताए तीन चार महीने जीवन के अविस्मरणीय दिन थे. एक गीत दरगाह में फिल्माया गया था. वहां बिताए तीन दिन आध्यात्मिक थे. वह जादुई अनुभव था.
अनुराग बसु की फिल्म ‘बर्फी’ पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि जब यह फिल्म लिखी गई थी तो बड़ी गंभीर और इंटेंस थी. बाद में इसमें कई इंप्रोवाइजेशन जुड़े. उन्होंने स्वीकार किया कि इस रोल में चार्ली चैपलिन और राज कपूर की छायाएं है, जब दो साल बाद मैंने फिल्म देखी तो खुद दंग रह गया.
उन्होंने कहा कि जब ‘संजू’ में उन्हें संजय दत्त का रोल निभाने को कहा गया तो उनके लिए यह बड़ी घटना थी. एक तो इसके निर्देशक राजकुमार हिरानी बॉलीवुड के सबसे बड़े निर्देशक हैं और दूसरे संजय दत्त मेरे पसंदीदा अभिनेता रहे हैं. मेरे कमरे में एकमात्र पोस्टर अगर किसी का है तो वह संजय दत्त का है. इस रोल की चुनौती यह थी कि वे अभी जीवित और सक्रिय हैं. लोग उनकी कहानी से कुछ सीख सकते हैं. सबसे बड़ी बात यह कि जब यह फिल्म मेरे पास आई तो मेरी कई फिल्में फ्लॉप हो चुकी थीं मसलन बेशरम, जग्गा जासूस, बॉम्बे वैलवेट, तमाशा आदि. इस फिल्म से मुझे बहुत राहत मिली.
उन्होंने ‘तमाशा’ के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘इम्तियाज अली ने कहा कि मुझे साधारण इंसान के रूप में अभिनय करना है, हीरो रणबीर कपूर के रूप में नहीं. ये नहीं भूलना चाहिए कि इस फिल्म में दीपिका पादुकोण थीं, जो मुझसे बड़ी अभिनेत्री हैं.’
यह पूछे जाने पर कि वे फिल्मों का चुनाव कैसे करते हैं, उन्होंने कहा, ‘यह अपनी अंतरात्मा की आवाज पर होता है. इसका कोई फॉर्मूला नहीं है. हर फिल्म अलग तैयारी की मांग करती है. सबसे बड़ी बात कि आपको लोगों से संपर्क बनाए रखना चाहिए और फीडबैक लेते रहना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि वे अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान या सलमान खान की तरह सुपरस्टार बनकर अभिनय नहीं करते, किरदार बनकर अभिनय करते हैं. आजकल अभिनय बहुत कठिन काम हो गया है. कई कई महीने तैयारी करनी पड़ती है. यह पूछे जाने पर कि उनकी सबसे पसंदीदा फिल्म कौन सी है तो उन्होंने कहा कि ‘वेक अप सिड.’
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-भारत एक्सप्रेस
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