उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी को तलब किया गया है. कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को 17 मई को पेश होने के लिए कहा है. मामले की सुनवाई के दौरान के सरकार की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने कैम्पा फंड के तहत उत्तराखंड सरकार को 9.2 करोड़ दिया गया है. जिसमें से मात्र 2 करोड़ रुपये ही उत्तराखंड सरकार ने खर्च किये है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पूरा फंड क्यों नहीं दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को भी फटकार लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जो फंड दिया गया है. उसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया और पूछा कि वन विभाग के कर्मचारियों को चुनाव में ड्यूटी पर क्यों लगाया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि यह बहुत दुखद स्थिति है कि काम के बजाय आप केवल बहाने बना रहे है. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि आपने आग से निपटने के लिए 10 करोड़ रुपये की योजनाएं बनाई हैं, लेकिन सिर्फ 3 करोड़ रुपये ही खर्च क्यों किए.
कोर्ट ने सवाल किया कि जंगलों में लगी आग के बावजूद सरकार ने वहां लगे कर्मचारियों को चुनाव में ड्यूटी पर क्यों लगाया गया. आपने हमें जो तस्वीरे दिखाई है, स्थिति कहीं ज्यादा भयावह दिख रही है. जिस पर वकील ने कहा कि हम जैव ईंधन के उपयोग को अनिवार्य बना रहे हैं.
याचिकाकर्ता राजीव दत्ता ने कहा कि कुमायूं रेजिमेंट बिजली उत्पादन के लिए पाइन नीडल का उपयोग कर रही है. इस पर कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि आप कुमायूं रेजिमेंट से सीख क्यों नहीं लेते. राज्य सरकार ने कहा कि हमारे आधे कर्मचारी चुनाव ड्यूटी पर हैं.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने वन अग्नि कर्मचारियों को आग के बीच चुनाव ड्यूटी पर क्यों लगाया? राज्य सरकार ने कहा कि यह पहले चरण में थी, अब चुनाव ड्यूटी खत्म हो चुकी है, क्योंकि मुख्य सचिव ने हमें निर्देश दिया है कि वन विभाग के किसी भी अधिकारी को चुनाव ड्यूटी पर न लगाया जाए, हम अब से यह आदेश वापस ले रहे है.
याचिकाकर्ता राजीव दत्ता ने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर जंगलों में आग लगवाकर पेड़ों से निकलने वाले चारकोल बेचते हैं. वहां यह धंधा जोरों पर है और आग लगाने के आरोप में पकड़े गए लोग तो महज गुर्गे ही है.
उत्तराखंड सरकार ने कहा कि आग को बुझाने में 9 हजार से ज्यादा कर्मचारी लगे हुए हैं, जबकि आग लगाने के मामले में 420 मुकदमे दर्ज किए गए हैं. मुख्यमंत्री हर दूसरे अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति का जायजा ले रहे है.
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी ने कहा कि इस बाबत राष्ट्रीय स्तर पर एक्शन प्लान बना हुआ है, लेकिन समय पर एक्शन न हो तो सिर्फ प्लान का क्या फायदा?
उत्तराखंड सरकार ने सुझाव दिया कि सुप्रीम कोर्ट एक समिति बनाए और उस समिति में केंद्र सरकार को भी शामिल करें. जंगल की आग के कारण ब्लादियाखान, ज्योलीकोट, मंगोली, खुर्पाताल, देवीधुरा, भवाली, पिनस, भीमताल और मुक्तेश्वर सहित नैनीताल के आसपास के कई गांव प्रभावित हुए हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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