Maharashtra News: छह दशक पुराने भूमि अधिग्रहण के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को एक बार फिर चेतावनी दी है. कोर्ट ने कहा कि वो दशकों से लंबित भूमि मुआवजे का शीघ्र निपटारा करें. वरना लाडली बहन योजना सहित फ्री बीज वाली कई योजनाओं पर रोक लगा देंगे.
कोर्ट ने 28 अगस्त तक महाराष्ट्र सरकार से मुआवजा भुगतान समुचित योजना लेकर हाजिर होने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि हम आदेश पारित कर देंगे कि उक्त जमीन पर बनाई गई बिल्डिंग को गिरा दिया जाए. जस्टिस बी आर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ मामले सुनवाई कर रही हैं.
जस्टिस गवई ने सरकार से पूछा कि आपने 37 करोड़ रुपए के ऑफर के बाद अब तक सिर्फ 16 लाख रुपए ही क्यों अदा किए है? कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आपके पास सरकारी खजाने से मुफ्त में पैसा बांटने के लिए हज़ारों करोड़ रुपये है, लेकिन आपके पास उस व्यक्ति को देने के लिए पैसा नही है. जिसकी जमीन को कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना छीन लिया गया है.
महाराष्ट्र सरकार ने दावा किया है कि बताई गई भूमि पर आयुध अनुसंधान विकास प्रतिष्ठान संस्थान का कब्जा था, जो केंद्र के रक्षा विभाग की एक इकाई थी. सरकार ने कहा कि बाद में ARDEI के कब्जे वाली जमीन के बदले निजी पक्ष को दूसरी जमीन अलॉट कर दी गई. हालांकि बाद में पता चला कि निजी पक्ष को दी गई अधिग्रहित जमीन को वन भूमि के रूप में अधिसूचित किया गया है.
बता दें कि याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उसके पूर्वजों ने 1950 में पुणे में 24 एकड़ जमीन खरीदी थी, जो राज्य सरकार ने 1963 में अधिग्रहण कर लिया था.
— भारत एक्सप्रेस
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