देश भर में हो रही बुल्डोजर की कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि बुल्डोजर एक्शन को लेकर कम से कम 15 दिन की मोहलत दी जानी चाहिए. नोडल अधिकारी को15 दिन पहले नोटिस भेजना होगा. नोटिस को डिजिटल पोर्टल पर भी डालने को कहा है. कोर्ट ने इसके लिए तीन महीने के भीतर पोर्टल बनाने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि कानून की प्रक्रिया का पालन जरूरी है. सत्ता का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं होगा. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी अदालत की तरह काम नहीं कर सकते हैं. प्रशासन जज नहीं हो सकता है. किसी की छत छीन लेना उसके मौलिक अधिकारों का हनन है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि सिर्फ आरोप के आधार पर किसी के घर को नहीं तोड़ा जा सकता है. जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि किसी का घर उसका सपना होता है कि उसका आश्रय कभी न छीनें. हमारे सामने सवाल यह है कि क्या कार्यपालिका किसी व्यक्ति का आश्रय छीन सकती है जिसपर अपराध का आरोप है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बुल्डोजर एक्शन का मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं होगा. अधिकारी मनमाने तरीके से कम नहीं कर सकते. अगर किसी मामले में आरोपी एक है तो घर तोड़कर पूरे परिवार को सजा क्यों दी जाए? पूरे परिवार से उनका घर नहीं छीना जा सकता. कोर्ट ने अपने आदेश में मुआवजे की भी बात कही है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई बुल्डोजर की कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दोषी होने के बावजूद उसके घर को नहीं गिराया जा सकता है. कोर्ट ने कहा था कि सार्वजनिक सड़कों पर, वॉटर बॉडी या रेलवे लाइन की जमीन पर अतिक्रमण से बने मंदिर, मस्जिद या दरगाह हैं तो उसे जाना होगा. क्योंकि पब्लिक ऑर्डर सर्वोपरि है.
वहीं तीनों राज्य सरकारों की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि बुलंडोजर की कार्रवाई से 10 दिन पहले नोटिस जारी किया गया था. एसजी ने कहा था कि यह कहना कि किसी विशेष समुदाय को टारगेट किया जा रहा है, तो यह गलत है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है. एसजी ने कोर्ट से कहा था कि कोर्ट ने पहले संकेत दिया हुआ है कि बुलंडोजर कार्रवाई को लेकर दिशा-निर्देश जारी करेगा तो मेरे पास (एसजी तुषार मेहता) कुछ महत्वपूर्ण सुझाव हैं.
एसजी ने कहा था कि अधिकांश चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा. जस्टिस बीआर गवई ने कहा था कि हम स्पष्ट करेंगे कि विध्वंस केवल इसलिए नहीं किया जा सकता क्योंकि कोई आरोपी या दोषी है. जस्टिस गवई ने कहा था कि जब मैं बॉम्बे हाईकोर्ट में था तो मैंने खुद फुटपाथों पर अनधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था हम अदालतों को अनधिकृत निर्माण मामलों से निपटने के दौरान सतर्क रहने का निर्देश देंगे. जस्टिस विश्वनाथन ने कहा था, पिछले कुछ वर्षों में विध्वंस की संख्या लगभग 4.5 लाख है.
एसजी ने कहा कि यह मेरी वास्तविक चिंता है. यह सिर्फ 2 % मामले है. जिसपर विश्वनाथन ने कहा कि ऐसा लगता है कि तोड़फोड़ का आंकड़ा 4.5 लाख के बीच है. एसजी ने कहा था कि चिंताओं में से एक यह थी कि नोटिस जारी किया जाना चाहिए. अधिकांश नगरपालिका कानूनों में जिस विषय पर वे काम कर रहे हैं उसके आधार पर नोटिस जारी करने का प्रावधान है. जस्टिस विश्वनाथन ने कहा था कि एक ऑनलाइन पोर्टल भी हो सकता है. इसे डिजिटलाइज करें.
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील सीयू सिंह ने गुजरात बुलडोजर की कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी तोड़फोड़ हुई है. 28 लोगों के घर तोड़ दिए गए हैं. इसपर जस्टिस विश्वनाथन ने कहा था कि हम इस मामले पर भी आएंगे.
सु्प्रीम कोर्ट ने बुधवार (13 नवंबर) को बुल्डोजर एक्शन पर बड़ा फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुल्डोजर एक्शन पर नई गाइडलाइंस जारी की है, जिसमें कहा गया है कि सरकारें न्यायालय का स्थान नहीं ले सकती हैं. इसके साथ ही कहा कि सिर्फ FIR के आधार पर आरोपी का घर नहीं गिराया जा सकता है.
-भारत एक्सप्रेस
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