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सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना की गई बुलडोजर कार्रवाई पर यूपी सरकार को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 का सम्मान किया जाए और मकानों का पुनर्निर्माण किया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने बुल्डोजर एक्शन पर नई गाइडलाइंस जारी की है, जिसमें कहा गया है कि सरकारें न्यायालय का स्थान नहीं ले सकती हैं.

Bulldozer Action: उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में हाल ही में हुए बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि गलत एक्शन की स्थिति में दोषी अधिकारियों से ही मुआवजे की रकम वसूली जाए. इसके साथ ही उसके खिलाफ उचित कदम उठाया जाए.

Bulldozer Action PIL: बुलडोजर एक्शन को लेकर दायर नई जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 14 अक्टूबर को सुनवाई करेगा. यह याचिका दिल्ली के रहने वाले आलोक शर्मा और प्रिया मिश्रा ने वकील नरेन्द्र मिश्रा के जरिए याचिका दाखिल की है.

हाल के वर्षों में बुलडोजर का इस्तेमाल तोड़फोड़ के लिए बढ़ गया है. यह मुख्य रूप से अवैध निर्माण को ध्वस्त करने, अपराधियों के ठिकानों को ध्वस्त करने और अन्य आपातकालीन स्थिति में उपयोग किया जाने लगा है.

48 निवासियों की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया है.

जमीयत उलमा-ए-हिंद ने पहले दिन से यह रुख अपनाया हुआ है कि देश के किसी भी राज्य में किसी भी व्यक्ति की संपत्ति पर बुलडोज़र नहीं चलना चाहिए.

बुलडोजर एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी फटकार लगाते हुए साफ किया कि वह इस मामले में दिशा निर्देश जारी करेगा. अदालत ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

सुप्रीम कोर्ट 2 सितंबर को जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की याचिका पर सुनवाई करेगी. याचिका में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में आरोपियों के घरों पर बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है.