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Nano Plant Case: टाटा ग्रुप को नैनो प्लांट केस में मिली बड़ी जीत, ममता सरकार भरेगी 766 करोड़ का हर्जाना

देश के दिग्गज कारोबारी समूह में शुमार टाटा ग्रुप को पश्चिम बंगाल में बड़ी सफलता मिली है. नैनो प्लांट को लेकर सिंगूर जमीन विवाद केस में टाटा ग्रुप के हक में फैसला आया है. जिसके बाद प्रदेश की ममता बनर्जी सरकार को टाटा की ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स को 766 करोड़ रुपये हर्जाने के तौर पर देना होगा.

ममता बनर्जी ने किया था प्रोजेक्ट का विरोध

बता दें कि टाटा ग्रुप ने पश्चिम बंगाल के सिंगूर में नैनो प्लांट लगाने के लिए तत्कालीन वामपंथी सरकार से परमिशन मिलने के बाद प्रोजेक्ट को शुरू किया था, लेकिन तब विपक्ष में रहीं ममता बनर्जी ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए धरने पर बैठ गई थीं. इसके बाद जब ममता बनर्जी के हाथ में सत्ता पहुंची तो उन्होंने टाटा समूह को झटका देते हुए बड़ा फैसला किया. ममता बनर्जी ने एक नया कानून बनाकर टाटा समूह को किसानों से ली गई 1 हजार एकड़ जमीन को वापस करने के आदेश दिए. इस जमीन को टाटा ने 13 हजार किसानों से खरीदी थी. इसी जमीन पर टाटा मोटर्स नैनो प्लांट लगाने की तैयारी कर रहा था. ममता बनर्जी के फैसले के बाद टाटा ने इस प्रोजेक्ट को गुजरात में शिफ्ट कर दिया था.

766 करोड़ की भरपाई करेगी बंगाल सरकार

प्रोजेक्ट को लेकर किए गए निवेश में नुकसान को लेकर पश्चिम बंगाल के उद्योग, वाणिज्य और उद्यम विभाग की प्रमुख नोडल एजेंसी से मुआवजे के जरिए भरपाई किए जाने का दावा किया था. जिसमें मंगलवार (31 अक्टूबर) को WBIDC के तीन सदस्यीय न्यायिक प्राधिकरण ने टाटा मोटर्स के पक्ष में फैसला सुनाया है. जिसमें प्राधिकरण ने ममता बनर्जी सरकार को 766 करोड़ रुपये हर्जाने के तौर पर टाटा मोटर्स को देने के आदेश जारी किए हैं. ये पैसा पश्चिम बंगाल औद्योगिक निगम से वसूले जाने का आदेश दिया है. कुल राशि 765.78 करोड़ रुपये है. इसमें 1 सितंबर, 2016 से लेकर हर्जाना दिए जाने तक 11 फीसदी प्रतिवर्ष ब्याज दर्ज भी शामिल किया गया है.

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रतन टाटा का ड्रीम  प्रोजेक्ट था नैनो प्लांट

रतन टाटा का ये ड्रीम प्रोजेक्ट था. जिसका ऐलान टाटा ग्रुप ने 18 मई 2006 को किया था. जिसके बाद सिंगूर में किसानों से जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन ममता बनर्जी ने जबरन किसानों से जमीन लेने का आरोप लगाकर विरोध शुरू कर दिया था. ममता बनर्जी ने विरोध में भूख हड़ताल पर बैठ गई थीं.

-भारत एक्सप्रेस

Shailendra Verma

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