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‘सांसदों के इन गांवों’ की कहानी, जहां हुए दर्जनों प्रशासनिक अधिकारी

MP Villages: आजतक सुनने और पढ़ने को मिलता है कि फलाना गांव में इतने अधिकारी हैं तथा कुछ और सलेक्शन के बाद उस गांव को अधिकारियों का गांव कहा जाने लगता है जैसे मऊ जनपद के मधुबन तहसील का पहाड़ीपुर गांव. वैसे तो मऊ के सैकड़ों अधिकारी भारतीय सेवा में कार्य कर चुके तथा कर रहे हैं लेकिन इस मामले में पहाड़ीपुर प्रथम स्थान पर है. ज्यूडिशियरी में भी मऊ के कई दर्जन लोग वर्तमान समय में भी सेवा दे रहे हैं वह भी जिला न्यायालय से लेकर उच्च न्यायालय तक.भारतीय राजनीति में भी उत्तर प्रदेश के साथ – साथ मऊ की एक अलग धमक रही है. मऊ के कुछ गांव ऐसे हैं जिनको सांसदों के गांव के तौर पर जाना जाता है जबकि इन गांव के भी दर्जनों अधिकारी भारतीय प्रशासनिक सेवा, उत्तर प्रदेश प्रशासनिक सेवा, ज्यूडिशियरी में सेवा दे चुके हैं अथवा दे रहे हैं.

सूरजपुर की मिट्टी में तीन-तीन सांसदों ने जन्म लिया

मऊ जनपद के सूरजपुर एक ऐसी ग्रामसभा है जिसकी मिट्टी में तीन – तीन सांसदों ने जन्म लिया.जयबहादुर सिंह 1957 में बलिया स्थानीय निकाय से विधान परिषद सदस्य चुने गये. 1962 में घोसी लोकसभा क्षेत्र से कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर सांसद निर्वाचित हुए. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जय बहादुर सिंह ने अपनी सैकड़ों एकड़ जमीन को दलितों, पिछड़ों में वितरित कर दी. वह पिपरीडीह ट्रेन लूट काण्ड के मुखिया थे.

वीरबहादुर सिंह, अर्थशास्त्र के दर्जनों किताबों के लेखक एवं उस समय के चर्चित अर्थशास्त्री को 1974 में कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद मनोनीत किया. बैंकों के निजीकरण में इनकी अहम भूमिका रही. 150 से अधिक विभिन्न विषयों पर इनके शोधपत्र प्रकाशित हुए एवं 1950 के दशक से ही मंगलवार को नेशनल हेराल्ड में इनके लेख प्रकाशित होते रहते थे. कैंब्रिज, वारसा, पेरिस, बेलग्रेड आदि विश्वविद्यालयों में वह विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे. संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक सलाहकार के रूप में अफ्रीका के अंग्रेजी भाषी देशों के आर्थिक स्थिति का विश्लेषण किया करते थे.

1980 में नत्थूपुर (मधुबन) से विधायक चुने गए राजकुमार राय

राजकुमार राय 1980 में नत्थूपुर (मधुबन) विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए, 1984 लोकसभा चुनाव में घोसी से कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर सांसद निर्वाचित हुए, 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार में उत्तर प्रदेश बीज प्रमाणीकरण बोर्ड के अध्यक्ष/ राज्यमंत्री बने. आजमगढ़ के चर्चित वकील रहे राजकुमार राय गरीबों एवं पिछड़ों का मुकदमा निःशुल्क लड़ते थे एवं उनके आने जाने का किराया तक खुद देते थे। तो वहीं अमिला गॉव में भी दो – दो सांसदों ने जन्म लिया.

पण्डित अलगू राय शास्त्री भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनेता, शिक्षाविद् एवं कानूनविद् थे वे 1952 पहली लोकसभा में आजमगढ़ से कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर सांसद चुने गये थे , जिसे अब घोसी लोकसभा क्षेत्र कहा जाता है. वह भारतीय संविधान सभा के सदस्य थे और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे. संविधान सभा में उन्होंने अपने वाक-चातुर्य से सबको प्रभावित किया. झारखण्डेय राय भी अमिला गांव के ही निवासी थे. स्वतंत्रता संग्राम में उनका अहम योगदान था. उनको 21 वर्ष की कारावास की सजा ब्रिटिश हुकूमत में हुई थी. उन्होंने आधे दर्जन से अधिक किताबों को लिखा.

घोसी विधानसभा क्षेत्र से 1957,1962,1967 में विधायक एवं मंत्री रहे झारखण्डे राय चौथी लोकसभा 1968, पांचवीं लोकसभा 1971, सातवीं लोकसभा 1980 में घोसी लोकसभा क्षेत्र से कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर निर्वाचित हुए.

दिव्येन्दु राय ( संपादकीय सलाहकार - डिजिटल )

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