सुभाष सिंह
UP News: इस बार रामनवमी के अवसर पर रामलला खास परिधान पहनने वाले हैं. नवरात्र से लेकर रामनवमी तक लगातार वह अलग-अलग तरह की पोशाक पहनेंगे. अर्थात हर दिन एक अलग ड्रेस पहनकर रामलला इतराएंगे. वैसे भी बहुत ही कम वक्त बचा है रामलला को अपने स्थाई भवन में विराजमान होने का. यहां मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. वहीं 50 सालों से रामलला का परिधान बनाने वाले टेलर भगवत प्रसाद ने रामलला का वनवास से लेकर घर वापसी (स्थाई मंदिर) तक के सफर को भी देखा है. वह इस रामनवमी के खास मौके पर न केवल रामलला की पोशाक के बारे में बता रहे हैं बल्कि उन दिनों की यादे भी ताजा कर रहे हैं जब रामलला गुम्बद में रहते थे और फिर टाट में आए.
दर्जी भगवत प्रसाद श्रीवास्तव उर्फ पहाड़ी बताते हैं कि अब रामलला की ड्रेस 22 हजार में तैयार की जाती है और मखमल या रेशम के कपड़े की बनती है, लेकिन एक समय वो भी था जब रामलला साधारण से कपड़े पहना करते थे. 66 साल के पहाड़ी बताते हैं कि जब वह 12-15 साल के थे तभी से रामलला के कपड़े सिल रहे हैं. जब रामलला गुम्बद में रहते थे तो एक ही कपड़े सालों पहने रहते थे. कोई भक्त कभी आकर नया कपड़ा पहना गया तो ठीक नहीं तो एक ही पोशाक पहने रहते थे, लेकिन जब टाट में आए तो सरकार की ओर से साल में एक बार कपड़ा सिलाया जाता था और वह रामलला पहनते थे.
किसी ने पुजारी जी से सम्पर्क कर लिया और रामलला के वस्त्र के लिए कहा तो साल के बीच में भी नई पोशाक बन जाती थी, लेकिन अब रामलला का वनवास खत्म हो गया है. अब वह जल्द ही अपने स्थाई भवन में विराजमान होने वाले हैं.
रामनवमी के दिन तो अपने जन्मोत्सव के मौके पर रामलला पीले रंग के वस्त्र धारण करेंगे. वैसे तो दिन के हिसाब से रविवार को गुलाबी, सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को क्रीम और शनिवार को नीला वस्त्र धारण करते हैं. इस बार रामनवमी 30 मार्च को है जिस दिन गुरुवार है. इसलिए रामलला पीले वस्त्र धारण करेंगे. हालांकि दिन कोई भी हो लेकिन रामनवमी के दिन रामलला को पीले वस्त्र ही पहनाए जाते हैं क्योंकि पीले वस्त्र को शुभ माना जाता है और खास दिन पर ग्रह नक्षत्रों के अनुकूल भी होता है.
लिहाजा इस खास दिन के लिए रामलला की खास पोशाक बनकर तैयार हो चुकी है और पुश्तों से रामलला की पोशाक सिल रहे भगवत प्रसाद ने ही पीले रंग की यह खास गोटे लगी पोशाक तैयार की है. रामलला की पोशाक सिलने वाले भगवत प्रसाद श्रीवास्तव उर्फ पहाड़ी कहते हैं कि, जब हम पोशाक को सिलते हैं तो हमारे मन में एक आस्था होती है कि हमारे रामलला अच्छे-अच्छे और सुंदर पोशाक पहनें तो और भी सुंदर लगेंगे रामलला का पोशाक सिलते समय हमको रामलला ही दिखाई देते हैं.
भारत एक्सप्रेस
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