UP News: उत्तर प्रदेश के चर्चित IAS अधिकारी नवनीत सहगल (Navneet Sehgal) के रिटायर होने के बाद अब उनके कमबैक को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. उनके राजनीति में भी एंट्री करने को लेकर चर्चा तेज है. विनम्र स्वभाव और मिलनसार व्यक्ति सहगल ने कई सरकारों के साथ में काम किया और हमेशा ही अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और जनता हित में कार्य किए.
बता दें कि 31 जुलाई को 35 सालों की सेवा के बाद उत्तर प्रदेश के सबसे चर्चित वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नवनीत सहगल रिटायर हो गए. 1988 बैच के अधिकारी नवनीत सहगल ने मायावती और अखिलेश यादव के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में बखूबी अपनी जिम्मेदारियों को निभाया. अगर सभी सरकारों में किए गए उनके कार्य को देखा जाए तो सरकार किसी की भी रही हो, लेकिन सहगल हर सरकार में प्रभावशाली रहे हैं और अपने कार्य को पूरी निष्ठा के साथ करते रहे हैं. फिलहाल उनके रिटायर होने के बाद उनके कमबैक से लेकर राजनीति की ओर जाने तक के कयास लगाए जा रहे हैं.
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जहां एक ओर मायाववती के समय सचिव के तौर पर नवनीत सहगल को सबसे भावशाली माना गया तो वहीं अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए उनको पंचम तल में सबसे मजबूत और अखिलेश का करीबी माना गया. इसी के साथ लखनऊ- आगरा एक्सप्रेस वे को रिकॉर्ड समय मे बनाने का रिकॉर्ड भी सहगल के ही खाते में दर्ज है. मीडिया सूत्रों की मानें तो दो वर्ष के रिकार्ड समय में उन्होंने 302 किलोमीटर लम्बा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे बनवाकर अपनी ऊर्जा, सोच और क्षमता का लोहा मनवाया था.
वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी उन्हें अपना प्रमुख सचिव सूचना बनाया था. भाजपा सरकार की वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट (ODOP) योजना को भी ऊंचाई पर सहगल ने ही पहुंचाया. प्रदेश में खादी को लेकर नई पॉलिसी लागू कर खादी का प्रोडक्शन बढ़वाया और युवाओं के बीच खादी को नई पहचान दिलाई. इस तरह से देखा जाए तो वह प्रदेश की सभी सरकारों में अपनी गहरी छाप छोड़ी है और अपने कार्य से हमेशा ही वह प्रभावशाली रहे हैं. इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि रिटायरमेंट के बाद वह पालिटिक्स में भी अपने कदम रख सकते हैं और नई पारी की शुरूआत कर सकते हैं.
बताते चलें कि नवनीत सहगल पढ़ाई में बहुत अच्छे थे. इसीलिए वह अपने पहले ही प्रयास में 1988 में सिविल सेवा में चयनित हो गए थे और उनको यूपी कैडर मिला था और इसी के बाद से वह लगातार प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करते रहे.
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