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UP का भू-सम्पदा अपीलीय अधिकरण देश में रहा नम्बर 1

उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा अपीलीय अधिकरण के “ऑनलाइन जस्टिस डिलीवरी सिस्टम” को स्मार्ट गवर्नेंस की नवीन प्रोद्यौगिकी के लिए कम्प्यूटर सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा ई-गवर्नेंस इनिशिएटिव-2022 पुरस्कार 2023 के मार्च महीने के आखिरी सप्ताह में डॉ० बीआर अंबेडकर ऑडिटोरियम, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में दिया गया.

अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति डॉ० डी० के० अरोड़ा ने दाखिल वाद को ई-मेल के माध्यम से आदान-प्रदान किये जाने तथा उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा अपीलीय अधिकरण एवं उससे सम्बन्धित स्टेक होल्डर को सशक्त बनाने एवं अधिक विकसित किये जाने की परियोजना का आरम्भ किया है, जिससे कि आई सी टी सक्षम प्रणाली के साथ पेपरलेस न्याय वितरण समय पर किया जाये, जो कि केवल डिजिटलीकरण प्रक्रिया तक सीमित न रहकर पूर्ण रूप से पेपरलेस कोर्ट चलाने एवं कोर्ट केस के निस्तारण में लगने वाले सौ दिन से अधिक समय को अधिनियम में निर्धारित 60 दिनों में समय के अनुसार किया जा सके.

इस “ऑनलाइन जस्टिस डिलीवरी सिस्टम” सुविधा एन.आई.सी. दिल्ली बनाई गई है जो अध्यक्ष न्यायमूर्ति डॉ० डीके अरोड़ा व सदस्य तकनीकी कमलकान्त जैन के देखरेख में क्रियान्वित हुई है. “ऑनलाइन जस्टिस डिलीवरी सिस्टम” की टीम के सदस्यों में सदस्य तकनीकी कमलकान्त जैन, एन.आई.सी. महानिदेशक मनोज के. आर. मिश्रा व मनोज तुली, तहरीम खान, रजिस्ट्रार, उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा अपीलीय अधिकरण श्रीकृष्ण कुमार यादव, प्रभारी ई-कोर्ट, उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा अपीलीय अधिकरण, पंकज अग्रवाल, सलाहकार (एन.आई.सी.) आदि हैं.

पारंपरिक न्याय प्रणाली की मुख्य चुनौती विशेष तौर पर नोटिसों की तामील, मैनुअल सबमिशन, दाखिल वादों आदि के दस्तावेजों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया में लगने वाले समय को इस डिजिटल पहल के द्वारा प्रत्येक समय विभिन्न ई-सेवाओं और लोवर कोर्ट के साथ एकीकरण की सुविधा प्रदान की गयी है, जिससे समस्त हितधारकों के लिए नोटिस देने व वाद से सम्बन्धित दस्तावेजों के आदन-प्रदान में लगने वाला समय अत्यधिक हो जाता है और सम्बन्धित लोगों को बेवजह परेशान होना पड़ता है.

एन.आई.सी. दिल्ली द्वारा उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा अपीलीय अधिकरण के “ऑनलाइन जस्टिस डिलीवरी सिस्टम” के माध्यम से ग्रीन गवर्नेंस के अनुपालन के लिए अग्रसर पेपर लेस न्याय प्रणाली विकसित की है जिसके परिणाम स्वरुप हर वर्ष लगभग 100 करोड रुपये की बचत होने की सम्भावना व्यक्त की गयी है.

उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा अपीलीय अधिकरण के “ऑनलाइन जस्टिस डिलीवरी सिस्टम” के अन्तर्गत यह सुविधाएं हैं.

  • ऑनलाइन पंजीकरण
  • ई-फाइलिंग
  • धारा 43(5) के अन्तर्गत डिजिटल भुगतान
  • ई-री-फाइलिंग
  • यू.पी.रेरा एकीकरण
  • डिजिटल प्रमाणित प्रति
  • वादों में होने वाली प्रगति को देखने की सुविधा (केस स्टेटस ट्रैकर)
  • पुराने वादों का डिजिटलीकरण
  • वाद पंजीकरण एवं स्वतः आवंटन
  • ऑनलाईन वाद सूची बनाना व प्रकाषित करना
  • डिजिटल नोटिस/सम्मन निर्गत करना
  • ई-हस्ताक्षर और आदेश निर्गत करना
  • ई-सुनवाई
  • डिजिटल संचार

-भारत एक्सप्रेस

Divyendu Rai

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