Kanpur Dehat: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के मडौली गांव में हुई दिल दहला देने वाली घटना में मां प्रमिला दीक्षित और बेटी नेहा दीक्षित के जले शव का अंतिम संस्कार कानपुर के बिठूर में किया जाएगा. कड़ी सुरक्षा के बीच अंतिम संस्कार की यात्रा भी उसी स्थान से शुरू की गई, जहां पर मां-बेटी के शव जले थे. प्रमिला के पति कृष्ण गोपाल दीक्षित उनकी अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सके, क्योंकि वह गम्भीर रूप से घायल होने की वजह से हैलट अस्पताल में भर्ती हैं. इसके साथ ही परिवारवालों ने उस स्थान को समाधि स्थल बनवाने की मांग की है, जहां पर मां-बेटी जिंदा जले हैं.
पुलिस अधीक्षक बीबीजीटीएस मूर्ति ने बताया कि अंतिम संस्कार के लिए पूरी तैयारी हो चुकी है. पीड़ितों को वे सभी सामग्री भी उपलब्ध करा दी गई है, जो अंतिम संस्कार के लिए आवश्यक होती है. एसपी ने बताया कि, मृतका प्रमिला दीक्षित के दोनों बेटों की ख्वाहिश थी कि अंतिम यात्रा वहीं से निकले, जहां वो जिंदा जली थीं. उन्होंने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की चार टीमें बनाई गई हैं, जितनी जल्दी हो सकेगा आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा.
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस मामले में अभी तक मैथा एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद को निलम्बत किया गया है. लेखपाल अशोक सिंह को निलम्बित करने के साथ ही गिरफ्तार कर लिया गया है. इसके अलावा जेसीबी चालक दीपक को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था.
बता दें कि झोपड़ी में आग लगने के दौरान मृतका प्रमिला के पति कृष्ण गोपाल उनको बचाते वक्त बुरी तरह जख्मी हो गए थे. उनको हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बताया जा रहा है कि उनकी आंख से खून बह रहा है. आग में उनका चेहरा भी बुरी तरह से झुलस गया था.
बीते 13 फरवरी को कानपुर देहात के मड़ौली गांव की एक झोपड़ी को जेसीबी से हटाने के लिए स्थानीय पुलिस-प्रशासन पहुंचा था. बताया जा रहा है कि झोपड़ी को गिराने का आदेश जिलाधिकारी नेहा जैन ने दिया था. पीड़ित परिवार ने जिला प्रशासन से उनको एक मकान दिलाने की मांग की थी. इसके बाद उन लोगों ने उस स्थान को छोड़ने के लिए कहा था, जहां वो रह रहे थे, लेकिन जिला प्रशासन पूरी तैयारी के साथ उनकी झोपड़ी तोड़ने पहुंच गया था.
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जानकारी सामने आई है कि पीड़ित परिवार के पास पहले उसी जगह के पास पक्का मकान था, जहां वे झोपड़ी बनाकर रह रहे थे, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने ये कहते हुए उनका मकान गिरा दिया था कि गैरकानूनी जमीन पर बना हुआ है. इसी के बाद से पीड़ित परिवार गांव की एक जगह पर झोपड़ी बनाकर रहने लगा था, जिसे पुलिस प्रशासन गिराने पहुंचा था और इसी के बाद मां-बेटी ने खुद को झोपड़ी के अंदर बंद कर आग लगा ली. आरोप है कि इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस-प्रशासन मौजूद था, लेकिन किसी ने भी जलती मां-बेटी को बचाने की कोशिश नहीं की.
-भारत एक्सप्रेस
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