-हिमांशु द्विवेदी
Kannauj: उत्तर प्रदेश में सरकारी अस्पतालों की हीलाहवाली से मरीजों की जान जाने की खबरें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. सरकार द्वारा तमाम बजट जारी होने के बाद भी अस्पताल योगी सरकार की साख को बट्टा लगाने में जुटे हैं. ताजा खबर उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के सौ शैय्या अस्पताल छिबरामऊ से सामने आई है, जहां 31 वर्षीय सिपाही की मौत सिर्फ इस वजह से हो गई कि उनको समय पर प्राथमिक दवाई इंजेक्शन हिमेक्सिलिन नहीं दी जा सकी. दरअसल सिपाही को गोली लगने के बाद प्राथमिक उपचार के लिए एडमिट कराया गया था लेकिन समय पर उचित दवा न मिल पाने के कारण, जब तक दूसरे अस्पताल में सिपाही को ले जाया गया, तब कर मौत हो गई. इस खबर के बाद से स्वास्थ्य विभाग में हड़कम्प मचा हुआ है. आनन-फानन में फजीहत से बचने के लिए उच्छाधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन ये घटना तमाम सवाल खड़े करती है.
इस पूरे मामले की छानबीन के लिए भारत एक्सप्रेस की टीम गुरुवार को उसी सौ शैय्या अस्पताल में पहुंची, जहां शहीद सिपाही सचिन राठी का प्राथमिक उपचार हुआ था. रिपोर्टर की छानबीन में पता चला कि, यहां पर लगातार तीन वर्षों से सरकारी बजट का बंदरबाट जारी है. यानी जिस हिमेक्सिलिन इंजेक्शन के लिए बजट जारी होता रहा है, वह तीन साल से अस्पताल में खरीदा ही नहीं गया. बता दें कि अत्यधिक रक्त स्राव रोकने के लिए मरीज को प्राथमिक इलाज के लिए ये दवा दी जाती है. यही कारण रहा कि ये दवा नहीं मिली और बदमाशों की गोली का शिकार हुए सिपाही सचिन राठी का खून बहना नहीं रोका जा सका और उनको जान से हाथ धोना पड़ा.
रिपोर्टर के मुताबिक, अस्पताल में जिस वक्त भारत एक्सप्रेस की टीम पहुंची, उस समय 10.45 हो रहे थे और आधे ज्यादा डॉक्टर नदारद थे. तो वहीं अस्पताल के बाहर ही प्राइवेट मेडिकल और पैथोलॉजी का जाल बिछा हुआ है जो अस्पताल प्रशासन की सह पर मरीजों को लूटने का काम करते हैं. तमाम मरीजों ने बताया कि डाक्टर अधिकतर ऐसी दवाएं ही लिखते हैं, जो सिर्फ अस्पताल के सामने वाले मेडिकल स्टोर पर ही मिलती है. फिलहाल सिपाही की मौत के बाद जब अस्पताल की एक-एक लापरवादी से पर्दा उठ रहा है तो जांच कराने की बात कही जा रही है.
बता दें कि सौ शैय्या अस्पताल करीब 200 करोड़ रुपयों की लागत से बना है. मरीजों का कहना है कि, यहां पर न तो समय से डाक्टर मिलते हैं और न ही इलाज होता है. मुख्य चिकित्साधिकारी तक अस्पताल से नदारद रहते हैं. मरीजो ने ये भी आरोप लगाया कि,, अस्पताल के बाहर ही स्थित प्राइवेट मेडिकल स्टोर और पैथोलॉजी से सरकारी डाक्टर जमकर कमीशन खा रहे हैं. बताया गया कि नियमानुसार कोई भी प्राइवेट लैब या मेडिकल स्टोर सरकारी अस्पताल के सामने नहीं होगा. बावजूद इसके यहां धड़ल्ले से प्राइवेट लैब और मेडिकल स्टोर संचालित हो रहा है.
बता दें कि 25 दिसम्बर की शाम को कोर्ट से एनबीडब्ल्यू वारंट मिलने के बाद पुलिस टीम धारणी धारपुर नगरिया के पूर्व प्रधान श्यामा देवी के पति अशोक कुमार यादव और उनके पुत्र टिंकू यादव को गिरफ्तार करने पहुंची थी. मालूम हो कि सन 1998-99 की जब उसके भाई गुड्डू की ग्राम के ही कुछ दबंगों ने हत्या कर दी थी उसके बाद अपराध की दुनिया में कदम रख अशोक कुमार ने आतंक का नया चेहरा विशुनगढ़ को दिखाया. उस घटना के बाद से अपराध जगत में कदम रख चुके अशोक पर लगभग 22 से ज्यादा मुकदमें अलग अलग थाना क्षेत्रों में दर्ज़ हुए पर उसका आतंक खत्म नहीं हुआ और वह खुला घूमता रहा.
कानून का शिकंजा भी उसे नहीं कस पाया. 25 दिसम्बर को एक मुकदमे में न्यायालय द्वारा एनबीडब्ल्यू वारंट जारी होने के बाद छिबरामऊ कोतवाली प्रभारी जितेंद्र प्रताप सिंह मय पुलिस बल के उसके घर पहुंचे तो आरोपी और उसके बेटे ने उन सभी पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी जिसमें विशुनगढ में तैनात 2019 बैच के सिपाही सचिन राठी के पैर में गोली लगी. पुलिस टीम ने तत्काल मोर्चा संभालते हुए अपने सिपाही को अस्पताल पहुंचाया जहां से उसे कानपुर रेफर किया गया जहां रात्रि 12बजे डॉक्टरों ने सिपाही को मृत घोषित कर दिया था. हालांकि कुख्यात अपराधी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
-भारत एक्सप्रेस
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