उत्तरकाशी में हिंदू संगठनों की होने वाली महापंचायत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका पर सुनवाई से कोर्ट ने इनकार कर दिया है. इसके साथ ही कहा है कि याचिकाकर्ता को इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में जाना चाहिए. इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कानून-व्यवस्था राज्य की जिम्मेदारी है. दायर याचिका में कहा गया था कि मुस्लिम समुदाय को घर और दुकान खाली कर जाने के लिए बोला जा रहा है. याचिकाकर्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार को कार्रवाई के लिए पहले से ही आदेश दे चुकी है, इसलिए होने वाली महापंचायत पर रोक लगनी चाहिए.
दरअसल, हिंदू संगठनों ने लव जिहाद और लैंड जिहाद के विरोध में 15 जून को महापंचायत बुलाई थी. जिसको लेकर एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की तरफ से याचिका दायर की गई थी. जिसमें महापंचायत पर रोक लगाने की मांग की थी. मामले पर बोलते हुए जस्टिस विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट या फिर किसी अन्य प्रााधिकरण के पास जाने की बात कही. जजों ने कहा कि हम किसी भी कानूनी प्रक्रिया को नजरअंदाज कर सुनवाई नहीं कर सकते. हाईकोर्ट या फिर जिला प्रशासन से भी आप संपर्क कर सकते हैं.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उत्तरकाशी के पुरोला में पोस्टर और पत्रों के जरिए घर खाली करने केल लिए धमकाया जा रहा है, लेकिन उसके बाद भी पुलिस भड़काऊ भाषण देने वालों पर कार्रवाई नहीं कर रही है. गौरतलब है कि बीते 26 मई को दो मुस्लिम युवकों ने एक हिंदू लड़की को अगवा करने की कोशिश की थी. तभी कुछ लोगों ने दोनो युवकों को पकड़ लिया था. पिटाई करने के बाद उन्हें पुलिस को सौंप दिया गया था. जिसके बाद से ही बवाल शुरू हुआ था.
-भारत एक्सप्रेस
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