वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट (सीनियर डिविजन) के सिविल जज ने अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी की याचिका को खारिज कर दिया है. यह याचिका ज्ञानवापी मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे के क्षेत्र का अतिरिक्त सर्वे कराने के लिए दायर की गई थी.
अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने इस मामले में भगवान स्वयंभू आदिविश्वेश्वर के प्रतिनिधि के रूप में याचिका दायर की थी. याचिका में उन्होंने मुख्य गुंबद के नीचे खुदाई करवा कर विशेष सर्वेक्षण की मांग की थी. इस याचिका पर कोर्ट ने 19 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद (AIM) ने इस याचिका का विरोध किया था. AIM ही ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालता है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में खुदाई या किसी भी प्रकार के तोड़-फोड़ की मनाही है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस याचिका में अतिरिक्त सर्वे की कोई ठोस वजह नहीं बताई गई है, और हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार सर्वे की सीमा तय कर दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया है कि जिस क्षेत्र में शिवलिंग होने का दावा किया गया है, उसे संरक्षित रखा जाए. इसके अलावा, इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने ही आदेश दिया था कि सर्वेक्षण के दौरान गैर-हस्तक्षेपात्मक तरीके अपनाए जाएं और संपत्ति को कोई नुकसान न पहुंचे.
इस मामले में 8 अप्रैल 2021 को अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पूरे ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करने का निर्देश दिया था. AIM ने इस आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन दिसंबर 2023 में हाई कोर्ट ने AIM की याचिका को खारिज कर दिया और ASI को मस्जिद का संपूर्ण सर्वेक्षण करने का आदेश दिया.
ASI ने इसके बाद दिसंबर 2023 में ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कर अपनी रिपोर्ट जमा कर दी थी, जो जनवरी 2024 में खोली गई. रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद अधिवक्ता रस्तोगी ने इस साल फरवरी में अतिरिक्त सर्वेक्षण की मांग की थी, जिसमें उन्होंने मुख्य गुंबद के नीचे खुदाई के माध्यम से संपूर्ण क्षेत्र का विश्लेषण करने का अनुरोध किया था.
रस्तोगी ने इस याचिका में मस्जिद परिसर के वजूखाना का भी सर्वे कराने की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2022 से सील करवा दिया है. हिन्दू पक्ष का दावा है कि वजूखाना में एक शिवलिंग मौजूद है. इस मांग पर भी AIM और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने आपत्ति दर्ज करवाई थी.
अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि आगे किसी भी सर्वेक्षण की जरूरत नहीं है.
-भारत एक्सप्रेस
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