देश

क्या वक्फ अधिनियम के दुरुपयोग की वजह से ही मोदी सरकार बोर्ड के अधिकार को प्रतिबंधित करने की बना रही है योजना?

क्या वक्फ अधिनियम (Waqf Act) का दुरुपयोग नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व वाली NDA सरकार की वक्फ बोर्ड (Waqf Board) की असीमित शक्तियों को सीमित करने की योजना को बल दे रहा है? यह सवाल राजनीतिक बहस के केंद्र में है, क्योंकि केंद्र सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन करने की तैयारी कर रही है.

इस सब के बीच सूत्रों ने समाचार एजेंसी IANS को जो बताया, उसके अनुसार वक्फ अधिनियम के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए वक्फ बोर्ड के संचालन को गलत बताकर पेश किया गया है.

ये हैं आरोप

सूत्रों का कहना है कि लंबे समय से कांग्रेस (Congress) द्वारा वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधनों के बाद वक्फ बोर्ड पर भू-माफिया की तरह काम करने, व्यक्तिगत भूमि, सरकारी भूमि, मंदिर की भूमि और गुरुद्वारों सहित विभिन्न प्रकार की संपत्तियों को जब्त करने का आरोप लगाया गया है.

सूत्रों के मुताबिक, शुरुआत में वक्फ की पूरे भारत (India) में करीब 52,000 संपत्तियां थीं. 2009 तक यह संख्या 4,00,000 एकड़ भूमि को कवर करते हुए 3,00,000 पंजीकृत संपत्तियों तक पहुंच गई थी.

अंग्रेजों द्वारा पेश किया गया था

सूत्रों ने कहा, ‘आज, पंजीकृत वक्फ संपत्तियों की संख्या 8,72,292 से अधिक हो गई है, जो 8,00,000 एकड़ से अधिक भूमि पर फैली हुई है. यह केवल 13 वर्षों के भीतर वक्फ भूमि के नाटकीय रूप से दोगुना होने को दर्शाता है.’

सूत्रों का कहना है कि वक्फ अधिनियम, 1923 अंग्रेजों द्वारा पेश किया गया था. अंग्रेजों ने सबसे पहले मद्रास धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1925 पेश किया. इसका मुसलमानों और ईसाइयों ने बड़े पैमाने पर विरोध किया. इस प्रकार, उन्हें बाहर करने के लिए इसे फिर से तैयार किया गया, इसे केवल हिंदुओं पर लागू किया गया और इसका नाम बदलकर मद्रास हिंदू धार्मिक और बंदोबस्ती अधिनियम 1927 कर दिया गया.

1954 हुआ था पारित

वक्फ अधिनियम पहली बार 1954 में संसद द्वारा पारित किया गया था. इसके बाद इसे निरस्त कर दिया गया और 1995 में एक नया वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसने वक्फ बोर्डों को असीमित शक्तियां प्रदान की.

सूत्रों ने कहा, ‘2013 में इस अधिनियम में और संशोधन करके वक्फ बोर्ड को किसी की संपत्ति छीनने की असीमित शक्तियां दे दी गईं, जिसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती थी.’

संपत्तियों पर दावा

सरल शब्दों में वक्फ बोर्ड को मुस्लिम दान की आड़ में संपत्तियों पर दावा करने की व्यापक शक्तियां दी गई. सूत्रों ने बताया, इसका प्रभावी रूप से मतलब यह है कि एक धार्मिक निकाय को लगभग अनियंत्रित और असीमित अधिकार दिया गया है, जिससे वादी को न्यायिक सहारा लेने से रोका जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘लोकतांत्रिक भारत में किसी अन्य धार्मिक निकाय के पास ऐसी शक्तियां नहीं है.’


ये भी पढ़ें: जिस Waqf Board को अंग्रेजों ने बताया था अवैध, नरसिम्हा राव सरकार ने बढ़ाई थी उसकी ताकत


जानकारी के मुताबिक, वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 3 में कहा गया है कि अगर वक्फ ‘सोचता है’ कि जमीन किसी मुस्लिम की है, तो यह वक्फ की संपत्ति है. वक्फ बोर्ड को इस बारे में कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है कि उन्हें क्यों लगता है कि जमीन उनके स्वामित्व में आती है.

अन्य देशों में ऐसी संस्था नहीं

सूत्रों ने बताया कि यहां तक कि मुस्लिम कानूनों का पालन करने वाले देशों में भी वक्फ संस्था नहीं है और न ही किसी धार्मिक संस्था के पास इतनी असीमित शक्तियां हैं. यह भी बताया गया है कि वक्फ निकाय ने विभाजन के दौरान पाकिस्तान से पलायन करने वाले हिंदुओं को कोई जमीन वापस नहीं की.

सूत्रों की तरफ से कई घटनाओं की रिपोर्ट दी गई है, जहां वक्फ बोर्ड ने पूरे गांवों के स्वामित्व का दावा किया है. इसका एक उदाहरण तमिलनाडु का थिरुचेंथुराई गांव है. स्थानीय वक्फ बोर्ड ने पूरे गांव को अपनी संपत्ति घोषित करके निवासियों को चौंका दिया. तिरुचिरापल्ली जिले में कावेरी नदी के तट पर स्थित तिरुचेंथुराई 1,500 साल पुराना सुंदरेश्वर मंदिर है. ग्रामीण यह सवाल कर रहे थे कि वक्फ बोर्ड उनके इस पुराने मंदिर पर दावा कैसे कर सकता है.

राजस्थान और तमिलनाडु का मामला

राजस्थान में मुस्लिम वक्फ बोर्ड द्वारा श्रमिकों के वेतन को कवर करने के लिए राज्य सरकार से वित्तीय सहायता मांगने का था. वक्फ बोर्ड के पास राज्य भर में 18,000 से अधिक संपत्तियां सूचीबद्ध थीं और इनमें से 7,000 से अधिक संपत्तियों से आय आती थी.

इसी तरह, तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने 1,500 साल पुराने मनेंदियावल्ली चंद्रशेखर स्वामी मंदिर की भूमि के स्वामित्व का दावा किया, जिसमें तिरुचेंथुराई गांव और उसके आसपास 369 एकड़ जमीन शामिल है. इन घटनाओं को सूत्रों द्वारा वक्फ बोर्ड द्वारा वर्तमान अधिनियम द्वारा उन्हें दी गई व्यापक और अनियंत्रित शक्तियों के दुरुपयोग के सबूत के रूप में उद्धृत किया गया है.

जवाबदेही की कमी

सूत्रों ने कहा कि एक और बड़ा मुद्दा वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी है. सूत्रों ने कहा कि इन परिसंपत्तियों से उत्पन्न राजस्व का कोई विश्वसनीय आकलन नहीं है और इस राजस्व का उपयोग कैसे किया जाता है, इस बारे में चिंताएं अनसुलझी हैं.

-भारत एक्सप्रेस

आईएएनएस

Recent Posts

धन-वैभव के कारक शुक्र और गुरु मिलकर संवारेंगे 3 राशि वालों की किस्मत, 7 नवंबर से शुरू होंगे अच्छे दिन

Rashi Parivartan Yog: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गुरु और शुक्र से राशि परिवर्तन योग बनने…

12 mins ago

कनाडा में हिंदू मंदिर में खालिस्तानी हमले पर S Jaishankar ने दी प्रतिक्रिया, बोले- ये बेहद चिंताजनक

विदेश मंत्रालय ने पहले ही इस घटना की निंदा की थी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता…

37 mins ago

Chhath Puja 2024 Day-1: नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व, नोट कर लें पूजन विधि

Chhath Puja 2024 Day-1 Nahay Khay: चार दिवसीय छठ पूजा का नहाय-खाय आज है. ऐसे…

43 mins ago

Chhath Puja 2024: छठ का पहला दिन ‘नहाय खाय’ आज, शुभ मुहूर्त और खास नियम जानिए

Chhath Puja 2024 Nahay Khay Date: नहाय-खाय के साथ आज से चार दिनों तक चलने…

2 hours ago

दिल्ली की हवा हुई जहरीली, 400 के करीब पहुंचा औसत एक्यूआई

Delhi Air Quality: दीपावली के बाद से ही राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली की हवा जहरीली…

2 hours ago