पत्रकारों के एक संगठन ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के कुछ प्रावधानों को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में आरोप लगाया है कि पत्रकारों को निशाना बनाने के लिए इस कानून का इस्तेमाल किया जा रहा है,
याचिका पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह एक भी ऐसा मामला पेश करे जिसमें उक्त कानून का इस्तेमाल कर पत्रकार को निशाना बनाया गया हो. याचिकाकर्ता ने जवाब दिया कि वह उदाहरण पेश करेगा. कोर्ट 11 दिसंबर को इस मामले में सुनवाई करेगा.
चीफ जस्टिस मनमोहन एवं जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने याचिकाकर्ता फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स (Foundation for Media Professionals) से कहा कि वह एक पूरक हलफनामा पेश करे, जिसमें बताया जाए कि किस तरह और किसके मामले में यूएपीए का दुरु पयोग किया गया है. पीठ ने कहा कि हम यह नहीं मान सकते कि किसी प्रावधान का दुरुपयोग किया गया है, कृपया एक उदाहरण दें.
इसपर याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने दलील दी कि याचिका में ‘अवैध संगठन‘, ‘अवैध गतिविधि‘ और ‘असंतोष‘ को परिभाषित करने वाले यूएपीए प्रावधानों को चुनौती दी गई है. उसके परिभाषाएं काफी मनमानी है.
याची ने कहा कि कोर्ट ने भी कई बार माना है कि यदि कोई परिभाषा अत्यधिक व्यापक है, तो उसमें से स्पष्ट मनमानी की बू आती है, इसे खारिज किया जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 2014 से यूएपीए के 89 प्रतिशत मामले लंबित हैं तथा केवल पांच फीसदी मामलों में ही सजा हुई है. कोर्ट ने कहा कि हम किसी परिकल्पना के आधार पर काम नहीं करना चाहते.
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-भारत एक्सप्रेस
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