Supreme Court: सीबीआई के कथित दुरुपयोग को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ दायर पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई योग्य मान लिया है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने यह फैसला दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दायर याचिका पर मेरिट के आधार पर सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट 13 अगस्त को तय करेगा कि किन- किन मुद्दों पर सुनवाई की जाए. कोर्ट सितंबर में इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. पश्चिम बंगाल सरकार का आरोप है कि राज्य के अधीन आने वाले मामलों में एक तरफा रूप से सीबीआई को भेजकर केंद्र सरकार हस्तक्षेप करता है. बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस दावे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था कि उसका सीबीआई पर कोई नियंत्रण नही है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि राज्यों के अंदर मामलों की जांच के लिए सीबीआई को कौन भेजता है.
पश्चिम बंगाल सरकार ने कोर्ट से कहा था कि उसने नवंबर 2018 में दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 1946 की धारा6 के तहत अपने क्षेत्र में अंदर सीबीआई जांच के लिए अपनी सहमति वापस ले ली थी. राज्य का कहना है कि सहमति वापस लेने के बाद भी केंद्र सरकार सीबीआई को जांच के लिए राज्य में भेज रही है. पश्चिम बंगाल में सीबीआई ने 15 से ज्यादा मामले दर्ज किए है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि यह मुकदमा चलने के काबिल नहीं है और इसे शुरू में ही खारिज कर दिया जाना चाहिए.
एसजी ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं का सीबीआई को केंद्र की पुलिस फोर्स कहना गलत था. एसजी ने यह भी कहा था कि सीबीआई कहां और कैसे जांच करती है, उसमें केंद्र की कोई भूमिका नही है. एसजी ने कहा था कि अधिनियम की धारा 5(1) केंद्र सरकार को यह शक्ति देती है कि वह केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़कर राज्यों में सीबीआई को जांच के लिए आदेश पारित कर सकती है. राज्य सरकार ने आरोप लगाया है कि सीबीआई एफआईआर दर्ज कर रही है और अपनी जांच को आगे बढ़ा रही है.
ऐसा उस समय हो रहा है, जब राज्य ने अपने अधिकार क्षेत्र में संघीय एजेंसी को मामले की जांच के लिए दी गई आम सहमति वापस ले ली है. अनुच्छेद 131 केंद्र सरकार और एक या ज्यादा राज्यों के बीच विवाद में सुप्रीम कोर्ट के मूल अधिकार क्षेत्र से जुड़ा है.
बता दें कि 16 नवंबर 2018 को बंगाल सरकार ने सीबीआई को राज्य में जांच करने की मंजूरी वापस ले ली थी, जिसके तहत सीबीआई बंगाल में छापेमारी या जांच नहीं कर सकती. केंद्र में सरकार चलाने वाली भारतीय जनता पार्टी पर बार-बार विपक्षी पार्टियों ने केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. हालांकि केंद्र सरकार बार-बार इसका खंडन करती रही है. साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय एजेंसी को पिंजरे में बंद तोता तक कह दिया था. उस समय कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए की सरकार सत्ता में थी.
-भारत एक्सप्रेस
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