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‘2 साल से गायब था…पहले बच्चों को पढ़ाता था’, संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले मास्टरमाइंड ललित झा के बारे में क्या बोले पड़ोसी

Parliament Security Breach Case: संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के मास्टरमाइंड ललित मोहन झा ने 14 दिसंबर को दिल्ली के एक थाने में पहुंचकर सरेंडर कर दिया था. जिसके बाद उसे पुलिस ने कोर्ट में पेश किया था. जहां से कोर्ट ने ललित झा को 7 दिनों की पुलिस रिमांड में भेज दिया. ललित झा के इस प्रकरण में शामिल होने की जानकारी जब उसके परिवार को मिली तो वो लोग हैरान हो गए. उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात पर यकीन नहीं हो रहा कि वो ऐसा भी कर सकता है.

बचपन से शांत स्वभाव का था ललित- शंभू झा

ललित झा के भाई शंभू झा ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि वो इस सब मामले में कब और कैसे शामिल हुआ. ललित झा हमेशा से इन सब मामलों से दूर रहता था. वह बचपन से ही शांत स्वभाव का था. ललित झा शिक्षक के अलावा एनजीओ से भी जुड़ा था इस बात की जानकारी थी, लेकिन जब उसकी तस्वीरों को टीवी और सोशल मीडिया पर इस मामले में चलते हुए देखा तो हैरान हो गए.

पुलिस और रिश्तेदार कर रहे पूछताछ

शभू झा ने आगे बताया कि उनके पास बुधवार रात से ही फोन कॉल्स आने लगे थे. पुलिस और रिश्तेदार सब ललित के बारे में पूछ रहे हैं. उन्होंने बताया कि ललित झा को आखिरी बार 10 दिसंबर को देखा था. तब शभू झा बिहार जा रहे थे. ललित उन लोगों को सियालदह स्टेशन पर छोड़ने के लिए गया था. अगले दिन उसने फोन करके बताया कि किसी काम से दिल्ली जा रहा है. उसी के बाद से उनकी ललित से कोई बात नहीं हुई.

10 दिसंबर को बिहार के लिए निकले थे- देवानंद

वहीं ललित झा के पिता देवानंद ने बताया कि ” मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि मेरा बेटा ऐसी घटना में शामिल होगा. ललित का नाम पहले कभी किसी अपराध में शामिल नहीं था. वह बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में अच्छा था. 50 साल से कोलकाता में रह रहे हैं, लेकिन छठ पूजा के मौके पर अपने गांव दरभंगा के रामपुर उदय जाते हैं. इस साल गांव नहीं गए थे. इसलिए 10 दिसंबर को गांव के लिए निकले थे. तब ललित हमारे साथ नहीं आया था.”

यह भी पढ़ें- Parliament Security Breach: संसद में घुसपैठ के ‘मास्टरमाइंड’ ललित को कोर्ट ने 7 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा, कल किया था सरेंडर

बच्चों को पढ़ाता था ललित झा

वहीं जब ललित झा की फोटो को टीवी पर उसके पड़ोसियों ने देखा तो वो लोग भी हैरैान हो गए. उनका कहना था कि ललित हमेशा से शांत स्वभाव का दिखाई दिया. बड़ा बाजार में लोगों के साथ बहुत कम घुला-मिला था. एक चाय की दुकान चलाने वाले पापुन शॉ ने बताया कि ललित एक टीचर था, लेकिन दो साल से यहां नजर नहीं आ रहा था. ललित स्थानीय बच्चों को पढ़ाता था. ज्यादा लोगों से बोलता भी नहीं था.

-भारत एक्सप्रेस

Shailendra Verma

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