देश

सांसदी तो चली गई पर अब भी Mahua Moitra के पास हैं कई सारे विकल्प! जानें सबकुछ

Mahua Moitra Disqualification:  ‘कैश-फॉर-क्वेरी’मामले में दोषी पाए जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता महुआ मोइत्रा को लोकसभा सांसद के रूप में निष्कासित कर दिया गया. तेजतर्रार नेता ने अपनी रिपोर्ट को लेकर एथिक्स कमेटी की आलोचना की, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने पीएम मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को घेरने के लिए संसद में सवाल पूछने के लिए एक व्यवसायी से उपहार और नकदी स्वीकार की थी. अब एथिक्स कमेटी ने कार्रवाई करते हुए महुआ को सांसद पद से निष्कासित कर दिया है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अब महुआ क्या करेंगी. उनके पास और क्या-क्या ऑप्शन है?

बता दें कि महुआ के पास अब एथिक्स कमेटी के फैसले को अदालत के समक्ष चुनौती देने का अधिकार है. ऐसी चुनौती का कोई भी आधार संभवतः समिति की जांच के दौरान संभावित अवैधता, असंवैधानिकता या प्राकृतिक न्याय से इनकार के आसपास घूमेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले मामलों में क्या फैसला सुनाया है?

सुप्रीम कोर्ट ने अतीत में इसी तरह के मामलों पर अलग-अलग विचार पेश किए हैं. 2007 के राजा राम पाल मामले ने इस बात पर प्रकाश डाला कि संसद के पास अपने सदस्यों को निष्कासित करने की शक्ति है. हालांकि, अनुच्छेद 101 को लेकर जजों के बीच असहमति पैदा हुई. हालांकि, तर्क ये भी दिया जाता रहा है कि निष्कासन की शक्ति संसद के पास है.

इसके बाद के अमरिन्दर सिंह बनाम विशेष समिति, पंजाब विधानसभा, मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह के निष्कासन को असंवैधानिक माना. लोकसभा से मोइत्रा के संभावित निष्कासन के आसपास का वर्तमान परिदृश्य इस बात पर प्रकाश डालता है कि शासन में बदलाव के बिना भी राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इस उपाय को कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है. किसी भी वित्तीय अनियमितता को स्थापित करने के लिए एथिक्स कमेटी द्वारा गहन जांच का आह्वान स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है.

महत्वपूर्ण बात यह है कि अमरिन्दर सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख निष्कासन के अस्पष्ट आधारों पर चिंता पैदा करता है,जैसे किसी सदस्य के लिए अशोभनीय आचरण या सदन की गरिमा को कम करना. इस तरह के व्यापक मानदंड संभावित रूप से राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ विधायी विशेषाधिकारों के चयनात्मक आवेदन का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें: UK Global Investors Summit: उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में अडानी ने खोला पिटारा

महुआ मोइत्रा के कानूनी विकल्प

सबसे पहले, मोइत्रा एथिक्स कमेटी के फैसले के खिलाफ अपील दायर कर सकती हैं. यह सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय से संपर्क करके, निर्णय को पलटने या उसके विरुद्ध आदेश प्रदान करने का अनुरोध करके किया जा सकता है. याचिका प्राकृतिक न्याय के आधार और निष्पक्ष सुनवाई के सिद्धांतों पर आधारित होगी.

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

Recent Posts

केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन अशोक पी. हिंदुजा ने की मुलाकात, इन मुद्दों पर हुई चर्चा

केंद्रीय मंत्री खट्टर ने भारत के बिजली और आवास क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए…

26 mins ago

चुनावी सभा से लौटे योगी तो कसे अफसरों के पेंच, कहा- जनहित के लिए बजट की कमी नहीं, परियोजनाओं को समय पर पूरा करें: मुख्यमंत्री

 चुनावी अभियान से वापस लौटे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में…

3 hours ago

लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, कई दिनों से AIIMS में चल रहा था इलाज

लोक गायिका शारदा सिन्हा का दिल्ली स्थित एम्स में निधन हो गया. उन्होंने 72 वर्ष…

3 hours ago

सुनवाई में बाधा डाल रहे वकील को दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया ये आदेश, अब अगली Hearing पर करना होगा ये काम

दिल्ली हाईकोर्ट ने कई चेतावनी के बावजूद सुनवाई में बाधा डालने को लेकर एक वकील…

3 hours ago

Rau’s Coaching case: फुटेज और सेटेलाइट इमेज सुरक्षित रखने की मांग, कोर्ट ने CBI को दिए ये निर्देश

दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई से राजेन्द्र नगर में कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी…

3 hours ago