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“Brij Bhushan Singh ने की महिला पहलवानों की लज्जा भंग करने की कोशिश”, अदालत में दिल्ली पुलिस की दलील

Brij Bhushan Singh Case: दिल्ली पुलिस का कहना है कि बृजभूषण सिंह को पता था कि वह क्या कर रहे हैं, उन्होंने अपनी हरकत पर पर्दा डालने की कोशिश की. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (ACMM) हरजीत सिंह जसपाल ने पहलवान यौन उत्पीड़न मामले में दिल्ली पुलिस की दलीलें सुनीं, जिसमें बृज भूषण शरण सिंह आरोपी हैं. दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. दिल्ली पुलिस ने कहा कि बृजभूषण को जब भी मौका मिलता था वह महिला पहलवान की लज्जा भंग करने की कोशिश करते थे.

महिला पहलवानों के साथ गलत हुआ: दिल्ली पुलिस

दिल्ली पुलिस ने अदालत में कहा कि सवाल यह नहीं है कि पीड़ित लड़की ने कोई प्रतिक्रिया दी है या नहीं, सवाल यह है कि उनके साथ गलत किया गया. दिल्ली पुलिस ने मामले की सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ताओं के साथ दिल्ली में WFI के दफ्तर में हुई घटना का ज़िक्र किया और कहा इन शिकायतों का क्षेत्राधिकार दिल्ली में ही बनता है.

अदालत में दिल्ली पुलिस का तर्क

दिल्ली पुलिस ने अदालत में तर्क दिया, “कुछ जुड़ी हुई घटनाएं और शिकायतें हैं जिन्हें एक साथ जोड़ दिया गया है.” अभियोजक ने तुलसी प्रजापति मुठभेड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया जिसमें दो एफआईआर को एक साथ जोड़ दिया गया था. यौन उत्पीड़न मामले में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप के बिंदु पर दिल्ली पुलिस की आगे की दलीलों पर अदालत 7 अक्टूबर को सुनवाई जारी रखेगी.

यह भी पढ़ें: Rajasthan: अशोक गहलोत के साथ नजर आईं वसुंधरा राजे, परिवर्तन यात्रा से बनाई है दूरी, क्या राजस्थान में पक रही है ‘खिचड़ी’?

इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने 16 सितंबर को दलील दी थी कि आरोपी बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह को निगरानी समिति ने कभी भी बरी नहीं किया था. सिंह के खिलाफ महिला पहलवान के यौन उत्पीड़न मामले में आरोप पर बहस के दौरान यह तर्क दिया गया. दिल्ली पुलिस ने अदालत में कहा कि महज एक इशारा ही आईपीसी की धारा 354 के तहत अपराध कायम करने के लिए काफी है.

दिल्ली पुलिस के विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अतुल श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि निरीक्षण समिति द्वारा आरोपी को कभी भी आरोपों से बरी नहीं किया गया था. समिति ने कभी नहीं कहा कि आरोप झूठे या निराधार थे. एसपीपी ने यह भी तर्क दिया कि समिति ने केवल भविष्य के उद्देश्यों के लिए सिफारिशें दी हैं. यह कोई निर्णय नहीं था.

-भारत एक्सप्रेस

 

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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