उतर-प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी की नींव रखने वाले मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) एक सफल सियासतदां के अलावा एक बेहतरीन पहलवान भी रहे हैं. उन्होंने कुश्ती के अखाड़े में बड़े-बड़े पहलवानों को चित किया था. उन्होंने एक नामी पहलवान को हराकर अपने राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह को खुश किया था. इसी के बाद कुश्ती के मैदान से ही उनके सियासी पारी की शुरुआत हुई. लेकिन ऐसा क्या हुआ कि जिसने एक समय उतर-प्रदेश की राजनीति में अपनी सियासत जमाकर केंद्र की ओर बढ़कर देश की सबसे बड़ी राजनीतिक कुर्सी पर बैठने जा रहे मुलायम को पीएम बनने से रोक दिया.
उतर-प्रदेश में सियासत की धुरी मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. वो केंद्र की राजनीति में भी एक प्रभावी और सशक्त नेता के रुप में उभरे थे. 1996 में एच. डी. देवेगौडा के नेतृत्व में उन्हे देश के रक्षा मंत्री पद की जिम्मेदारी सौपी गई थी. लेकिन इससे पहले उनके राजनीतिक करियर में एक समय ऐसा आया जब वो देश के प्रधानमंत्री के रुप में सबसे बड़े दावेदार थे. साल 1996 में जब अटल बिहारी की सरकार गिर गई तो संयुक्त मोर्चा की मिली-जुली सरकार बननी तय हुई. पार्टी के लोग मुलायम के पीएम बनने की बात से सहमत थे. भारी समर्थन के बाद सब कुछ तय था कि मुलायम सिंह ही देश के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे. यहां तक कि उनके शपथ ग्रहण कार्यक्रम की भी सभी तैयारियां हो चुकी थी. लेकिन तभी मुलायम सिंह की सियासी कहानी में एक नया मोड़ आया. उनके सीएम से पीएम बनने तक के राजनीतिक सफर में ऐसा कुछ हुआ जिसकी वजह से मुलायम सिंह यादव का पीएम बनने का सपना कभी पूरा नहीं हो सका.
मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के देश के प्रधानमंत्री नहीं बन पाने के पीछे का एक बड़ा कारण लालू प्रसाद यादव और शरद यादव का विरोध बताया जाता है. दरअसल लालू प्रसाद यादव अपने बेटी की शादी मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव से कराना चाहते थे. लेकिन अखिलेश यादव किसी और लड़की को पसंद करते थे और उनसे शादी करने की इच्छा जता चुके थे. यह लड़की कोई और नहीं बल्कि डिंपल यादव ही थीं. हालांकि मुलायम ने अखिलेश को लालू की बेटी से शादी कराने के लिए काफी मनाया भी लेकिन अखिलेश नहीं माने. आखिरकार मुलायम ने बेटे अखिलेश की इच्छा को मान लिया और डिंपल से शादी कराने के लिए हां कह दिया. इसी बात को लेकर मुलायम और लालू में नाराजगी हो गई. बताया जाता है कि इसी प्रकरण के बाद मुलायम पीएम नहीं बन सके. लालू यादव और उनके करीबी शरद यादव ने प्रधानमंत्री पद के लिए मुलायम को समर्थन नहीं दिया.इसके बाद मुलायम सिंह यादव की जगह एचडी देवगौड़ा के नाम पर सहमति बनी और वो प्रधानमंत्री बने. हालांकि देवगौड़ा की सरकार एक साल भी नहीं टिक पाई और उन्हे पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा.
-भारत एक्सप्रेस
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