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Pulwama Attack: कुछ शहीदों के परिजनों को क्यों नहीं दी गई सरकारी नौकरी? सरकार ने सदन में बताई वजह

Pulwama Attack: पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों की लगभग एक दर्जन विधवाओं ने सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने के लिए अपने बच्चों के 18 साल के होने तक इंतजार करने का फैसला किया है. यह बातें बुधवार को राज्यसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कही. हालांकि, उन्होंने कहा कि आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के 19 परिजनों को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी दी गई है. तीन और की नियुक्ति प्रक्रिया में है. जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा.

आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान हुए थे शहीद

बता दें कि 14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में एक आत्मघाती हमला में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे. राय ने एक लिखित प्रश्न के उत्तर में कहा, “ग्यारह विधवाओं ने अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने के लिए अपने बच्चों के 18 साल के होने तक इंतजार करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा, “इनमें से कुछ बच्चे चार साल तक के हैं. शहीद सीआरपीएफ हेड कांस्टेबल मनोज के बेहरा की बेटी अभी 7 साल की है. वहीं एक शहीद के बेटे की उम्र महज 4 साल है.

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1.5 करोड़ से लेकर 3 करोड़ तक दी गई सहायता राशि

नित्यानंद राय ने जानकारी दी कि सभी शहीद की विधवाओं को मुआवजा 1.5 करोड़ से लेकर 3 करोड़ तक दी गई है. उन्होंने कहा कि 8 शहीदों के परिजनों को कुल मुआवजा 1.5 करोड़ रुपये से 2 करोड़ रुपये के बीच मिला, 29 को 2 करोड़ रुपये से 2.5 करोड़ रुपये के बीच मिला. मंत्री ने कहा कि तीन शहीदों के परिवार को तत्काल 2.5 करोड़ रुपये से 3 करोड़ रुपये के बीच मुआवजा मिला. पुलवामा में हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर जवाबी हवाई हमले किए.

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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