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क्या अजमेर शरीफ दरगाह का भी होगा सर्वे? इसके शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका पर अदालत ने जारी किया नोटिस

Ajmer Sharif Dargah: राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti) की दरगाह को हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका को निचली अदालत ने बुधवार (27 नवंबर) को मंजूर कर ली.

अदालत ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए 20 दिसंबर 2024 को अगली सुनवाई की तारीख तय की है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के निवासी हिंदू सेना (Hindu Sena) के विष्णु गुप्ता ने अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू पूजा स्थल होने की निचली अदालत में दायर की थी.

अदालत ने जारी किया नोटिस

इस याचिका पर अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिवीजन मनमोहन चंदेल की अदालत ने सुनवाई की. इस दौरान वादी विष्णु गुप्ता के वाद पर जज ने संज्ञान लेते हुए दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को नोटिस जारी करने के आदेश दिया है. बता दें कि मामले में कल यानी मंगलवार (26 ​नवंबर) को भी सुनवाई हुई थी. आज भी न्यायालय में सुनवाई हुई और न्यायालय ने वाद को स्वीकार करते हुए दरगाह कमेटी और अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी करने के आदेश जारी करने का फैसला दिया है.

दरगाह के मंदिर होने का दावा

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विष्णु गुप्ता की तरफ से हरदयाल शारदा की ओर से लिखी किताब ‘अजमेर: हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव’ का हवाला देते हुए वाद पेश किया गया था, जिसमें उन्होंने अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर (Shiv Mandir) होने का दावा किया है. इस मामले में कोर्ट सुनवाई 20 को करेगी.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राम स्वरूप बिश्नोई ने बताया कि ऐतिहासिक साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर 38 पन्नों की याचिका न्यायालय में प्रस्तुत की गई है, जिसमें दरगाह परिसर का एएसआई सर्वे (ASI Survey) कराने का अनुरोध किया गया है. इस मुकदमे में दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और एएसआई को पक्षकार बनाया गया है.

बता दें कि हिंदू संगठन अजमेर दरगाह को लंबे समय से मंदिर बता रहे हैं. 2022 में हिंदू संगठन महाराणा प्रताप सेना ने दरगाह के मंदिर होने का दावा करते हुए राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत और केंद्र सरकार को पत्र लिखा था और इसकी जांच की मांग की थी.

संभल में हुई थी हिंसा

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर बीते 24 नवंबर को हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ. इस दौरान कम से कम 5 लोगों की मौत हो चुकी है. बवाल के बाद कई तरह की पाबंदियां लगा दी गई हैं. संभल में एक दिसंबर तक बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है.

संभल में मुगलकालीन जामा मस्जिद के कोर्ट के आदेश पर हुए सर्वे के दौरान भड़की हिंसा के एक दिन बाद सोमवार (25 नवंबर) को संभल के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे नवाब सुहैल इकबाल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पुलिस अधीक्षक (SP) कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि इस सिलसिले में 2,500 लोगों के खिलाफ कुल 7 एफआईआर दर्ज की गई हैं. जिला प्रशासन ने पहले ही निषेधाज्ञा लागू कर दी है और 30 नवंबर तक बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है.

हरिहर मंदिर होने का दावा

संभल में पिछले मंगलवार (19 नवंबर) से ही तनाव की स्थिति है, जब जामा मस्जिद का सर्वे स्थानीय अदालत के आदेश पर किया गया था. इस संबंध में दायर एक याचिका में दावा किया गया है कि इस स्थल पर हरिहर मंदिर था. अधिकारियों ने कहा कि सर्वे मंगलवार को पूरा नहीं हो सका और इसे 24 नवंबर की सुबह के लिए निर्धारित किया गया था, ताकि आम तौर पर दोपहर में होने वाली नमाज में व्यवधान न हो. हिंदू पक्ष के एक वकील ने दावा किया कि इस स्थल पर पहले जो मंदिर था, उसे मुगल सम्राट बाबर ने 1529 में ध्वस्त कर दिया था.

सर्वे के समर्थकों का तर्क है कि यह ऐतिहासिक सच्चाइयों को उजागर करने में एक जरूरी कदम है, जबकि आलोचक इसे उकसावे के रूप में देखते हैं, जो उपासना स्थल अधिनियम, 1991 द्वारा कायम रखे गए धार्मिक स्थलों की पवित्रता का उल्लंघन करता है. मामले में याचिकाकर्ता अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि 24 नवंबर को अदालत के निर्देशानुसार सर्वे करने गई टीम ने वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के साथ-साथ घटनास्थल की विस्तृत जांच की गई. सर्वे रिपोर्ट 29 नवंबर तक प्रस्तुत की जानी है.

(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ)

-भारत एक्सप्रेस

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