देश

अनुच्छेद 370 के हटने से जम्मू-कश्मीर विकास की एक नई राह पर, श्रीनगर में आयोजित जी20 सम्मेलन की सफलता में बड़ा हाथ

Srinagar: भारत की अध्यक्षता में 22-24 मई तक श्रीनगर में आयोजित जी-20 पर्यटन कार्य समूह की बैठक का तीन दिवसीय सत्र जम्मू-कश्मीर के 75 साल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ की तरह रहा. अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस आयोजन ने जम्मू कश्मीर के विकास को एक नई राह दी है. हालांकि, यह सब कुछ केंद्र सरकार द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त करने के साहसिक निर्णय के बिना संभव नहीं था.

अनुच्छेद 370 और 35A कश्मीर की प्रगति में था बाधक

अनुच्छेद 370 और 35A ने कश्मीर घाटी की प्रगति को बाधित करने का काम किया था. 5 अगस्त, 2019 वह दिन था जिस दिन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त किया गया था. इस दिन को जम्मू कश्मीर और लद्दाख के हिमालयी क्षेत्र के इतिहास में एक ऐसे दिन के रूप में याद किया जाएगा, जब वे अपने अस्तित्व के इतिहास में पहली बार बने थे. बात करें अनुच्छेद 370 की तो यह 1954 में एक संवैधानिक संशोधन के माध्यम से अस्तित्व में आया और 35A को राष्ट्रपति के आदेश द्वारा लागू किया गया.

अनुच्छेद 370 और 35ए जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्य के शासन के मुद्दों से संबंधित एक अस्थायी व्यवस्था थी जिसने राज्य को इसकी ‘विशेष स्थिति’ प्रदान की थी. भारतीय संविधान के उपर्युक्त अनुच्छेदों के कारण, भारत में सीमांत समुदायों के उत्थान के लिए भारतीय संसद द्वारा अनुमोदित कानूनी, राजनीतिक या आर्थिक पैकेज स्वचालित रूप से जम्मू कश्मीर राज्य पर लागू नहीं होते थे. अनुच्छेद 35A के अनुसार भारतीय नागरिकों या व्यवसायों को राज्य में संपत्ति खरीदने या रखने की अनुमति नहीं थी. इसे राज्य में भारतीय और साथ ही विदेशी निवेश को आकर्षित करने में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक माना जाता था, जो कि पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण है.

धारा 370 की बाधा के कारण जम्मू कश्मीर में कई मामलों में भ्रष्टाचार की जांच शुरू नहीं हो सकी. एक अन्य उदाहरण यह है कि 2006 से 2016 तक, भारत के कुल केंद्रीय धन का 10 प्रतिशत जम्मू कश्मीर में खर्च किया गया था, भले ही यह देश की आबादी का केवल एक प्रतिशत था. केंद्र के इन प्रयासों के बावजूद, विकास हैंडआउट्स से मेल नहीं खाता था.

इसे भी पढ़ें: भारत-नेपाल के बीच व्यापार शिखर सम्मेलन सफलतापूर्वक हुआ समाप्त, आर्थिक सहयोग और व्यापारिक रिश्ते पर बनी बात

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद की स्थिति

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, सभी शरणार्थियों को अधिवास प्रदान किया गया है और अब वे समान नागरिक बन गए हैं. हिन्दू, सिखों और ईसाइयों के पास अब धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के लिए निर्धारित नौकरियों में 16 प्रतिशत की गारंटी है. यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ी छलांग है कि मुस्लिम बहुल राज्य में धार्मिक अल्पसंख्यकों द्वारा सामना किए जाने वाले धार्मिक भेदभाव को समाप्त किया जा सकता है. अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने के कारण ही कश्मीर जी-20 सत्र की मेजबानी करने में सक्षम हुआ. जिसने कश्मीर को पर्यटन के लिए 50 शीर्ष वैश्विक स्थलों के मानचित्र पर रखा है.

Rohit Rai

Recent Posts

खाड़ी के कई देश पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा देने से क्यों कर रहे इनकार?

पिछले कुछ वर्षों में, पाकिस्तान से बड़ी संख्या में संदिग्ध यात्री विदेश गए हैं जो…

3 mins ago

बड़ी खबर! खालिस्तानी कमांडो फोर्स के तीन आतंकियों को यूपी और पंजाब पुलिस ने किया ढेर, दो AK-47 बरामद

उत्तर प्रदेश और पंजाब पुलिस ने पीलीभीत में संयुक्त कार्रवाई में खालिस्तानी कमांडो फोर्स के…

21 mins ago

Delhi Air Pollution: शीतलहर के बीच दिल्ली में फिर से होने लगी घुटन, AQI ‘गंभीर’ स्तर पर पहुंचा

प्रदूषण की स्थिति बिगड़ने के बाद 16 दिसंबर से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ग्रेडेड…

1 hour ago

Maharashtra: पुणे में डंपर ने फुटपाथ पर सो रहे 9 लोगों को कुचला, 3 की मौके पर मौत

महाराष्ट्र के पुणे से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आई है. पुणे में एक…

1 hour ago