डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप यूं ही नहीं कहा जाता. 49 साल की मनप्रीत कौर पिछले 13 सालों से कैंसर से जूझ रही थी, उन्हें स्टेज 4 का कैंसर था, जिसके लिए सर्जरी बहुत जरूरी थी. दिल्ली AIIMS के डॉक्टर्स ने लगातार 10 घंटे तक सर्जरी कर महिला के पेट से 9.2 किलोग्राम वजनी दुर्लभ ग्रैनुलोसा सेल ट्यूमर को निकालने में सफलता हासिल की.
ये ट्यूमर शरीर के कई अंगों से जुड़ा हुआ था, जिससे सर्जरी में काफी मुश्किल आ रही थी, लेकिन एम्स के ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एम.डी. रे के नेतृत्व में उनकी पूरी टीम ने इस महिला का सफल ऑपरेशन किया, महिला अब पूरी तरीके से स्वस्थ है और उसको बीते 9 दिसंबर को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.
मनप्रीत कौर को पहली बार साल 2011 में कैंसर का पता चला, लेकिन उन्होंने हिम्मत ना हारते हुए इससे लड़ने की ठानी और इसी कड़ी में साल 2011 में एम्स में उनकी पहली सर्जरी की गई. उस वक्त तक ये कैंसर स्टेज 1 पर था, लेकिन 2017 में ये दोबारा लौट आया और एक बार फिर से उनकी सर्जरी की गई. साथ ही 6 कीमोथेरेपी भी दी गईं. इस पूरी लड़ाई में एक बार फिर से सर्जरी को आखिरी विकल्प मानते हुए डॉक्टर्स ने 2 दिसंबर को मनप्रीत को एक बार फिर से ऑपरेट किया.
इस दौरान तीन महीने की भाग-दौड़ में उनका वजन लगभग 15 किलो तक घट गया, बीमारी के चलते से मरीज का हीमोग्लोबिन लगभग 6.5 रह गया था, जिसके बाद मरीज को तकरीबन दो यूनिट ट्रांसफ्यूजन भी किया गया.
फाइनली 10 घंटे की सर्जरी के बाद डॉक्टर रे की टीम ने 9.2 किलो वजनी ट्यूमर को शरीर से अलग कर दिया. इस दौरान छोटी आंत को भी कुछ हिस्सों में काटकर दोबारा जोड़ा गया. फिलहाल लंबी सर्जरी के बाद मनप्रीत कौर कैंसर को मात देकर अब आगे बढ़ चुकी हैं.
डॉक्टर्स एम डी रे का कहना है कि अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो ऐसे केसेज मरीज 10 साल आसानी से बिता सकता है. फिलहाल एक बार फिर एम्स के डॉक्टर्स ने असंभव लगने वाली चीज को संभव कर दिखाया है और मनप्रीत को नया जीवन दिया है.
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