रविवार (12 जनवरी) को महाकुंभ मेला क्षेत्र में एक शिविर में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav Statue) की मूर्ति स्थापित किए जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया, जिस पर कई संतों ने आपत्ति जताई. उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडे ने रविवार को बताया कि सेक्टर 16 में मुलायम सिंह यादव स्मृति सेवा संस्थान द्वारा स्थापित शिविर में शनिवार को करीब दो-तीन फीट ऊंची मूर्ति का अनावरण किया गया.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस कदम की आलोचना की. परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव हमेशा से “हिंदू विरोधी और सनातन विरोधी” रहे हैं. सपा नेता पांडे ने कहा कि शनिवार को उन्होंने “नेताजी” की मूर्ति का अनावरण किया. “वे हमारे नेता थे और उनके विचारों और विचारों को फैलाने के लिए शिविर का आयोजन किया गया था.”
नेता प्रतिपक्ष पांडे ने मीडिया से कहा, “तीर्थयात्रियों और अन्य लोगों का शिविर में आने, भोजन करने और वहां रहने के लिए स्वागत है. प्रतीकात्मक रूप से मुलायम सिंह यादव की एक छोटी मूर्ति स्थापित की गई है.” उन्होंने कहा कि महाकुंभ (Maha Kumbh) के बाद मूर्ति को पार्टी कार्यालय में बहाल कर दिया जाएगा.
यह पूछे जाने पर कि क्या सपा प्रमुख अखिलेश यादव महाकुंभ मेले में जाएंगे, उन्होंने कहा, “मैंने इस संबंध में उनसे बात नहीं की है.” हालांकि, पांडे ने कहा कि उन्होंने शनिवार को संगम में डुबकी लगाई थी और फिर वहां जाएंगे.
इस बीच, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पुरी ने कहा कि मुलायम सिंह की मूर्ति संतों को यह दिखाने के लिए लगाई गई है कि उन्होंने समुदाय के लोगों की “हत्या” की है.
पुरी ने कहा,
“हमें मुलायम सिंह की मूर्ति पर कोई आपत्ति नहीं है. वह हमारे मुख्यमंत्री रहे हैं. लेकिन वे (सपा के लोग) इस समय मूर्ति लगाकर क्या संदेश देना चाहते हैं. सभी जानते हैं कि राम मंदिर आंदोलन में उनका क्या योगदान रहा है. वह हमेशा हिंदू विरोधी, सनातन विरोधी और मुसलमानों के पक्षधर रहे हैं.”
जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने इस मुद्दे पर पुरी के बयान का समर्थन किया और कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा इस कदम की निंदा करना उचित है.
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री और तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वह 10 बार विधायक चुने गए और सात बार सांसद चुने गए, जिनमें से अधिकतर मैनपुरी और आजमगढ़ से थे. 10 अक्टूबर 2022 को उनका निधन हो गया.
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-भारत एक्सप्रेस
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