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शराब नीति मामला: ​Arvind Kejriwal की याचिका पर Supreme Court ने ED से प्रासंगिक दस्तावेज तलब किया

दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपी दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी से प्रासंगिक दस्तावेजों को तलब किया है. कोर्ट ने पूछा कि ईडी दस्तावेजों के जरिये बताए कि जांच अधिकारी के पास शिकायत दर्ज करने का अधिकार था? अदालत 11 फरवरी को इस मामले में अगली सुनवाई करेगी.

मामले की सुनवाई के दौरान केजरीवाल ने मेंटेनेबलिटी पर सवाल उठाया है. केजरीवाल का कहना है कि पीएमएलए के तहत समन जोगिंदर नाम के एक ईडी अधिकारी द्वारा दिया गया था, जबकि आईपीसी की धारा 174 के तहत शिकायत एक अलग अधिकारी द्वारा दर्ज की गई थी. पिछली सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक मंजूरी मिल गई है. दरअसल केजरीवाल ने उनके खिलाफ ईडी द्वारा दायर चार्जशीट पर संज्ञान लेने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

ईडी ने जरूरी मंजूरी नहीं ली

याचिका में केजरीवाल ने कहा है कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के सक्षम अथॉरिटी से आवश्यक मंजूरी ईडी की ओर से नहीं ली गई है. लिहाजा ट्रायल कोर्ट का चार्जशीट पर संज्ञान लेने का आदेश गलत है. केजरीवाल ने कहा है कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने अपने आदेश में पीएमएलए की धारा 3 के तहत अपराध का संज्ञान लेने में गलती की है.


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जमानत पर हैं केजरीवाल

केजरीवाल का यह भी कहना है कि अभियोजन के लिए सीआरपीसी की धारा 197(1) के तहत पूर्व मंजूरी प्राप्त करना आवश्यक है, लेकिन उनके मामले में ईडी ने ऐसा नहीं किया है, जबकि केजरीवाल कथित अपराध के समय एक लोकसेवक (मुख्यमंत्री) थे. 12 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी. लेकिन सीबीआई के मामले के चलते वो जेल से बाहर नहीं आ पाए थे. 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट से उन्हें सीबीआई के मामले में भी जमानत मिल गई और वो जेल से बाहर आ गए.

क्या हैं आरोप

ईडी ने 21 मार्च 2024 को मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति को जानबूझकर आप नेताओं को लाभ पहुंचाने और कार्टेल गठन को बढ़ावा देने के लिए आप नेताओं को छूट दी गई, इसके अलावा लाइसेंस शुल्क माफी के बदले शराब कारोबारियों से रिश्वत ली गई. रिश्वत का पैसा को गोवा चुनाव में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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