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Gomti Book Festival 2024: गोमती पुस्तक महोत्सव में पटकथा, कविता और साहित्य के दिग्गजों की रही धूम

Gomti Book Festival 2024: उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गोमती नदी (Gomti River) के किनारे ‘गोमती पुस्तक महोत्सव’ चल रहा है. इस महोत्सव के दूसरे दिन का शुभारंभ ‘शब्द संसार में’ आयोजित पहले सत्र ‘रोल प्ले: सीखें और अभिनय करें’ से हुआ. भारत सरकार के नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया (NBT) की ओर से इसके लिए काफी समय से तैयारियां की जा रही थीं.

इस महोत्सव में आज कहानी कहने की नाट्य कला से लेकर कविता के माध्यम से गीत गायन की कार्यशालाओं ने बच्चों को रचनात्मकता के अनोखे आयाम से रूबरू कराया. बाल फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित फिल्मों के माध्यम से दर्शकों ने पर्यावरण, जल संरक्षण के महत्व को समझा.

अभिनय के माध्यम से सुनाई गई कहानी

शब्द संसार के मंच पर मुस्कान शर्मा द्वारा बच्चों को तरह-तरह के भावों को प्रकट करना सिखाया गया. उन्होंने अलग-अलग प्रकार की तालियों को बजाने के माध्यम से बच्चों का ध्यान अपनी ओर केंद्रित किया और ‘हाई, हैलो’ जैसे शब्दों के माध्यम से शब्दों और ध्वनियों के उतार-चढ़ाव के बारे में बच्चों को समझाया. इसके साथ ही बच्चों से कई रोचक गतिविधियाँ कराईं. बच्चों को अभिनय के बारे में रोचक जानकारी प्रदान की गई.

मंच पर कविता से गीत की यात्रा

शब्द संसार के मंच पर आयोजित दूसरे सत्र में चिन्मय त्रिपाठी और जोएल ने बच्चों को कविताओं का महत्व समझाया, उन्होंने बताया की कविता पाठ से हमारा बौद्धिक विकास तो होता ही है साथ ही इससे सामाजिक विकास भी होता है. चिन्मय ने बच्चों को ये भी बताया कि कैसे कविताओं का लय-ताल लेकर हम उसे गा भी सकते हैं. साथ ही उन्होंने बच्चों को दो पंक्तियां ‘चलते जाना, चलते जाना, ज़िंदगी तो है बहाना’ दीं और उसके आगे की दो पंक्तियों को बच्चों को जोड़ने के लिए दिया. बच्चों ने अपने-अपने भावों को कविता को रूप दिया और बच्चों की दी गई कविता की पंक्तियों ‘चलते जाना, चलते जाना, ज़िंदगी तो है बहाना, अपनी मस्ती में है जीना, आगे क्या हो किसने जाना’ को चिन्मय ने गीत के रूप में प्रस्तुत कर बच्चों को मंत्रमुग्ध कर दिया.

पौराणिक कथाएं और साहित्य सर्जनात्मकता

लेखक गंज में आज तीन सत्रों का आयोजन हुआ. पहले सत्र में प्रसिद्ध लेखक, उपन्यासकार, स्तंभकार, पटकथा लेखक आनंद नीलकंठन ने पौराणिक कथाओं पर विस्तार से बात कही और पौराणिक कथाओं को लेकर किए जाने वाले प्रयोगों पर विस्तार से बात कही. आनंद नीलकंठन जी ने बताया कि फिल्म या स्क्रिन लेखन में दर्शक और निर्देशक के हिसाब से लिखना होता है और उपन्यास में लेखक अपने हिसाब से लिखता है.

इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया की कैसे रामायण को विभिन्न देशों के संस्कृतियों के हिसाब से प्रस्तुत किया जाता है. इस पौराणिक कथाओं में साहित्यिक सृजनात्मकता की काफी गुंजाईश होती है. इस सत्र का संचालन नाटककार, कवि, निबंधकार और आलोचक प्रोफेसर आर. पी. सिंह ने किया.

लेखक गंज के मंच पर आयोजित दूसरा सत्र कारगिल विजय दिवस के 25 साल पूरे होने पर था जिसमें दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन में संयुक्त महाप्रबंधक और ‘कारगिल-एक यात्री की जुबानी’ पुस्तक के लेखक ऋषि राज मुख्य वक्ता थे. इस सत्र में कारगिल युद्ध में लड़े सैनिक कप्तान शत्रुघ्न सिंह, ‘वीर चक्र’ भी शामिल थे. ऋषि राज ने कारगिल युद्ध से जुड़े और भी कई तथ्यों को बताया जैसे कैसे हमारे सैनिकों ने पाकिस्तान के द्वारा किये गये भ्रामक दावे को गलत साबित किया. साथ ही ऋषि जी ने पूरे लखनऊ से ये आग्रह किया की देशभक्ति का जज्बा हर समय देश में रहना चाहिए.

शत्रुघ्न जी ने भी अपने अनुभवों को दर्शकों से साझा किया और बताया की कैसे कारगिल युद्ध में उन्होंने वीरता दिखाते हुए तीन गोलियां लगने के बावजूद, जब सबने उन्हें शहीद घोषित कर दिया था तब वो अपने अंदर भारत माता की रक्षा के जज्बे को संजोए हुए कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों के साथ कई दिनों बाद वापस लौटे.

लेखक गंज का तीसरा सत्र गोमती के किनारे बसे शहर लखनऊ के सांस्कृतिक-रचनात्मक संबंधों पर आधारित रहा. इस सत्र में दो वक्ताओं डा. स्मृति सारस्वत और विपुल वार्ष्णेय ने अपने विचार रखे. इस सत्र के लेखक हैं चन्दर प्रकाश जी, जो शहर का एक जाना-पहचाना नाम है.

डॉ. स्मृति सारस्वत ने सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योग के बारे में चर्चा करते हुए लखनऊ की भाषा, पकवान, हड्डियों की नक्काशी, पहनावा, स्मारकों आदि पर विस्तार से बात की.

विपुल जी ने लखनऊ के समृद्ध वास्तुकला पर बात करते हुए बताया कि यहां पर पाए जाने वाले इमामबाड़े और दूसरे स्मारक अपने आप में बहुत खास हैं. इन इमारतों पर होने वाले प्लास्टर का काम उत्कृष्ट और अलग है और इसका कारण इनमें बने फूलों और लिखावट का काम है . ज्यामितीय रूप से भी यह बहुत उत्कृष्ट स्मारक हैं.
पुस्तक महोत्सव में शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत युग्म बैंड द्वारा मनोरम प्रस्तुति दी गई.

बाल फिल्म फेस्टिवल रहा आकर्षण का केंद्र

गोमती पुस्तक महोत्सव के दूसरे दिन बाल फिल्म फेस्टिवल में प्रातः 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक बच्चों को मनोरंजक और ज्ञानवर्धक फिल्में दिखाई गईं. अगस्त्य, ग्रैनी ग्रीन थम्स, माय लॉकडाउन गेस्ट, कईनट्टू, द एप्पल, क्रैक्ड फिल्मों के माध्यम से प्रकृति, दोस्ती और स्वास्थ्य जैसे विषयों से बच्चों को रूबरू करवाया गया.

इसरो की फोटो प्रदर्शनी

गोमती पुस्तक महोत्सव में अंतरिक्ष जगत में भारत की उपलब्धियों को दर्शाती इसरों की फोटो प्रदर्शनी लगाई गई थी. ‘नई संभावनाओं को दर्शाती इसरो की फोटो प्रदर्शनी’ शीर्षक से लगी इस सुंदर और आकर्षक फोटो प्रदर्शनी में अंतरिक्ष प्रक्षेपण यानों भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी), ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन (पीएसएलवी) पर विस्तार से जानकारी दी गई थी. इस प्रदर्शनी में इसरो के भावी मिशनों जैसे आदित्य एल-1 और गगनयान मिशनों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया है.

पुस्तकों का लोकार्पण

रविवार को पुस्तक महोत्सव में अनेक पुस्तकों का लोकार्पण हुआ. नई पुस्तकों के प्रति पाठकों की उत्सुकता भी महोत्सव में खूब दिखी. अनेक वरिष्ठ साहित्यकारों ने गोमती पुस्तक महोत्सव का दौरा किया जिनमें डॉ. हरिओम, डॉ. राकेश तिवारी, ओम निश्चल, जे.पी. द्विवेदी आदि कुछ प्रमुख नाम है.

बाल फिल्म महोत्सव में ईरान, स्पेन, भारत, इटली में निर्मित अवार्ड प्राप्त फिल्मों को दिखाया जाएगा. शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा ‘मुगल परिवेश’ नाटक का मंचन किया जाएगा.

पुस्तक महोत्सव पाठकों और प्रकाशकों दोनों के लिए अहम

वाणी प्रकाशन के राकेश सिन्हा जी ने बताया कि ”ऐसे पुस्तक महोत्सवों का आयोजन होने से पाठकों को पुस्तकों से रूबरू होने का अवसर प्राप्त होता है. पुस्तकों की दुकानों में जाने पर वो अनुभूति नहीं होती जो पुस्तक मेले में आने से होती है. पुस्तक महोत्सव में अनेक बार किताबों के नए संस्करण भी आते हैं.”

यशिका इंटरप्राइजेस के करण जी ने बताया कि ”पुस्तक महोत्सव का अनुभव अच्छा ही होता है. ऐसे आयोजन में पाठकों और लेखकों को एक-दूसरे से आमने-सामने बातचीत करने का भी अनुभव प्राप्त हो सकता है.”

गोमती पुस्तक महोत्सव में पर्यावरण, विज्ञान, धर्म, कला, साहित्य जैसे विभिन्न विषयों पर प्रकाशनों ने पाठकों को आकर्षित किया. ललित कला अकादमी के स्टॉल पर विशेष आकर्षण के रूप में राष्ट्रपति भवन में लगी चित्रकलाओं के प्रिंट के सेट रखे हैं.

‘कंपनी पेंटिंग्स इन राष्ट्रपति भवन’ और ‘सिलेक्ट पेंटिंग्स ऑफ राष्ट्रपति भवन’ के नाम से मिलने वाले प्रत्येक सेट को 750 रुपयों के दाम पर खरीदे जा सकते हैं.

— भारत एक्सप्रेस

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