नई दिल्ली-यूपी में मदरसों पर सर्वे को लेकर देश में एक नयी बहस छिड़ चुकी है।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया था कि राज्य में मदरसों का सर्वे होगा जिसमें जानने की कोशिश होगी कि मदरसों में बच्चों को क्या तालीम दी जा रही है,उनकी फंडिंग कहां से हो रही है और कितने मदरसे गैरकानूनी तौर पर चल रहे हैं,लेकिन पहले असदुद्दीन ओवैसी और अब जमीयत ने इस विवाद में एंट्री मार दी है।जमीयत उलेमाए हिंद ने कहा कि हम सर्वे के खिलाफ नहीं है लेकिन ये कानून के तहत होना चाहिए.इस पर विचार करने के लिए एक स्टीयरिंग कमेटी का गठन होगा।
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर जिलाधिकारियों को सर्वे कराने के निर्देश दिए जाने के खिलाफ दिल्ली में मंगलवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने मदरसों के सर्वे के विरोध में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई । इसमें यूपी के बड़े मदरसों से जुड़े लोग शामिल थे, ये सभी लोग गैर सरकारी मदद से मदरसे चलाने वाले हैं.
जानकारी के अनुसार, यह बैठक जमीयत के दिल्ली कार्यलय में हुई जिसमें बहुत से मदरसा संचालक शामिल हुए
दरअसल, यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे होगा और उसके बाद रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी जाएगी। सर्वे टीम में एसडीएम, बीएसए और जिला अल्पसंख्यक अधिकारी शामिल रहेंगे।
टीम अपने सर्वे के बाद रिपोर्ट प्रशासन को सौंपेंगे और एसडीएम या अपर जिलाधिकारी से मिली रिपोर्ट का निरीक्षण करने के बाद ही जिलाधिकारी रिपोर्ट को आगे शासन के पास भेजेंगे।इससे पहले एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी आरोप लगा चुके हैं कि मदरसों के सर्वे के पीछे राज्य सरकार की नीयत ठीक नहीं है और मुसलमानों को बदनाम किया जा रहा है.
-आईएएनएस/भारत एक्सप्रेस
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