ट्रेनी डॉक्टर (Trainee Doctor) के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में आलोचनाओं का सामना कर रहे कोलकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (RG Kar Medical College & Hospital) के प्रिंसिपल प्रो. संदीप घोष ने सोमवार (12 अगस्त) सुबह अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर उन्हें बदनाम किया जा रहा है और मृतक डॉक्टर उनकी बेटी जैसी है. उन्होंने कहा कि उन्होंने एक अभिभावक के तौर पर इस्तीफा दिया है.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार उन्होंने कहा, ‘सोशल मीडिया पर मेरी बदनामी हो रही है… मृतक डॉक्टर मेरी बेटी की तरह थी. एक अभिभावक के तौर पर मैं इस्तीफा दे रहा हूं. मैं नहीं चाहता कि भविष्य में किसी के साथ ऐसा हो.’
इस बीच, कोलकाता पुलिस ने तीन जूनियर डॉक्टरों और एक हाउसकीपिंग स्टाफ को जांच के लिए बुलाया है. जिस रात अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की हत्या हुई, उस रात वे ड्यूटी पर थे.
बीते 9 अगस्त को मेडिकल की पोस्टग्रेजुएट छात्रा का अर्धनग्न शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में मिला था. वह अपने दो सहकर्मियों के साथ खाना खाने के बाद आराम करने के लिए हॉल में गई थी.
शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि उसकी आंख, नाक और प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था. उसकी गर्दन भी टूटी हुई पाई गई. उसके शरीर के अन्य हिस्सों पर भी चोटें थीं.
पुलिस ने बलात्कार और हत्या के सिलसिले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने बताया कि वह व्यक्ति आधिकारिक तौर पर अस्पताल से जुड़ा नहीं था, लेकिन वह अक्सर अस्पताल आता था.
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पुलिस के अनुसार, कथित तौर पर अपराध करने के बाद वह व्यक्ति घर जाकर सो गया. इसके बाद उसने अपने कपड़े धोए. हालांकि, पुलिस को उसके जूते पर खून के निशान मिले हैं.
इस बीच, पश्चिम बंगाल में सोमवार को अस्पताल सेवाएं बाधित रहीं, क्योंकि जूनियर डॉक्टर, ट्रेनी और पोस्टग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टरों ने लगातार चौथे दिन अपनी हड़ताल जारी रखी. वे महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या मामले की मजिस्ट्रेट जांच की मांग कर रहे हैं.
मालूम हो कि रेजिडेंट डॉक्टर्स अपनी साथी के साथ कथित बलात्कार और हत्या के बाद से ही प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने अस्पताल के प्रिंसिपल प्रो. संदीप घोष के इस्तीफे की मांग की थी. इस्तीफा देने के बाद डॉ. घोष ने प्रदर्शनकारी मेडिकल छात्रों और हाउस-स्टाफ से अपना प्रदर्शन वापस लेने की अपील की है.
प्रो. संदीप घोष ने कहा, ‘मेरा इस्तीफा छात्रों की इच्छा थी. दरअसल, पूरा राज्य मेरा इस्तीफा मांग रहा था. मुझे उम्मीद है कि मेडिकल छात्र और जूनियर डॉक्टर अब अपना सामान्य कामकाज फिर से शुरू कर देंगे. पिछले कुछ दिनों से मेरे परिवार और मुझे कई तरह की टिप्पणियों का सामना करना पड़ा. इसलिए मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया.’
उन्होंने दावा किया, ‘वह अपने प्रतिद्वंद्वी समूह की रची गई राजनीतिक साजिश का शिकार हुए हैं. मैं कभी भी किसी तरह के राजनीतिक खेल का हिस्सा नहीं रहा. एक सरकारी कर्मचारी के तौर पर मैं अंत तक अपना कर्तव्य निभाऊंगा.’
इससे पहले राज्य स्वास्थ्य विभाग ने रविवार (11 अगस्त) को कॉलेज के पूर्व चिकित्सा अधीक्षक और उप-प्राचार्य डॉ. संजय वशिष्ठ को हटाने की घोषणा भी की थी.
-भारत एक्सप्रेस
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