गुजरात में हुए मोरबी पुल हादसे को लेकर एक चौंकाने वाले वाली खबर सामने आई है. एक ऐसी खबर जिससे शायद हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों का गुस्सा फूट जाए. बातें दें कि मौरबी हादसे में चल रही जांच में रोजना नए नए खुलासे हो रहे है. इस बार खुलासा हुआ है कि ओरेवा समूह ने 143 साल पुराने पुल के रेनोवेशन के लिए मात्र 12 लाख रुपए ही खर्च किये. जबकि कंपनी को इसके लिए 2 करोड़ रुपए दिए गए थे.
जब से ये खबर सामने आई है तभी लोगों सिर्फ एक ही बात सोच रहे है कि कंपनी ने पुल की मरम्मत के लिए कुल बजट का मात्र 6% ही इस्तेमाल किया गया. ओरेवा समूह के अध्यक्ष जयसुख पटेल की एक फर्म ने पिछले मार्च में मोरबी नगर पालिका के साथ 15 साल के रखरखाव और संचालन अनुबंध को तोड़ दिया था. जिसके बाद उसने 24 अक्टूबर को घोषणा की थी कि पुल तैयार हो चुका है. गुजराती नव वर्ष पर पुल को फिर से खोल सकते है. और उनकी इस लापरवाही की वजह से 141 लोगों की जान चली गई.
बता दें कि जांच में ओरेवा ग्रुप की कमिंया साफ तौर पर उजागर हुई है. ग्रुप ने पुल के नवीनीकरण के लिए किसी और फर्म को दे दिया था. जिसका नाम है देवप्रकाश सॉल्यूशंस. ओरेवा की तरह, उपठेकेदारों के पास भी इस तरह के काम के लिए आवश्यक तकनीकों की जानकारी का अभाव था. पुल की मरम्मत पर खर्च किए गए पैसे का जिक्र देवप्रकाश सॉल्यूशंस से जब्त दस्तावेजों में है.
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