समाजवादी पार्टी के संयोजक मुलायम सिंह यादव की लोकसभा सीट उनके निधन के बाद अब खाली है. इस सीट पर अब उपचुनाव होंगे और कौन यहां का चेहरा होगा इसको लेकर समाजवादी पार्टी में हलचल तेज है. चर्चा तो शिवपाल यादव की भी तेज है और मीडिया डोमेन में इसे हवा भी दी जा रही है. लेकिन, अखिलेश यादव अभी अपना पत्ता नहीं खोल रहे हैं. हालांकि, मीडिया में शिवपाल यादव ने जो बयान दिए हैं, उससे साफ होता है कि समझौते के लिए वह तैयार हैं. बशर्ते मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि रही मैनपुरी का उत्तराधिकार उन्हें पार्टी की तरफ से सौंप दिया जाए.
दरअसल, मैनपुरी सपा (Samajwadi Party) का गढ़ है और नेताजी की यह कर्मभूमि रही है. मैनपुरी के ही करहल से उन्होंने शिक्षा हासिल की थी और यहीं पर अध्यापन का काम भी किया था. यहीं पर उन्होंने पहलवानी और राजनीति के दांव भी सीखे और बड़े-बड़े सूरमाओं को पटखनी दी. ऐसे में इस सीट के सेंटिमेंट का लेवल नेताजी के निधन से हाई है. लेकिन, सवाल यही है कि आखिर सपा मुलायम सिंह परिवार के किस सदस्य को यहां से चुनाव लड़ाएगी.
‘गतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की चर्चा इसलिए भी तेज है, क्योंकि पिछले दिनों आगरा में उनसे जब पूछा गया कि क्या वो मैनपुरी उपचुनाव लड़ रहे हैं, तो उनका जवाब था कि अगर पार्टी चाहेगी तो वो चुनाव लड़ेंगे. एक बार फिर यही सवाल इटावा में पत्रकारों ने उनसे किया तो उन्होंने कोई खास रिस्पॉन्स नहीं दिया. शिवपाल ने यहां पर परिवार की एकजुटता पर कहा कि वो भी चाहते हैं कि सब एक हो जाएं.
अभी तक की जनसभाओं में शिवपाल यादव अक्सर नेताजी (Mulayam Singh Yadav) को याद करते हुए अपना संबोधन दे रहे हैं. इटावा में भी उन्होंने नेताजी को याद करने के साथ-साथ उनके द्वारा किए गए विकास के कार्यों को गिनाया. कुल मिलाकर शिवपाल की तरफ से कई बार हाथ मिलाने के संकेत दिए जा चुके हैं. लेकिन, सपा के मुखिया अखिलेश यादव और मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव क्या सोचते हैं, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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