दिल्ली में पटाखों पर पाबंदी से क्यों भड़के हुए हैं व्यापारी,जानिए कितने महीने पहले देते हैं एडवांस

नई दिल्‍ली- दिल्‍ली में प्रदूषण की मार से बचने के लिए केजरीवाल सरकार ने इस वर्ष भी दिवाली पर पटाखों की बिक्री इस्‍तेमाल और स्‍टोर करने पर प्रतिबंधित लगा दीया है. सरकार का कहना है कि यह फैसला लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य को मद्देनजर रखते हुए लिया गया है. वहीं दूसरी और पटाखा व्‍यापारियों में दिल्ली सरकार के फैसले को लेकर बेहद नाराजगी देखने को मिल रही है. उनका कहना है कि पटाखे के लिए एडवांस दिसंबर से जनवरी में कर देते हैं और त्‍यौहार में इससे कमाई कर पूरे साल घर का खर्च चलाते हैं. अगर बंद करना है तो पटाखों का उत्पादन बंद करना चाहिए.दलील ये भी दी जा रही है कि दिल्ली की सीमा से सटे हरियाणा और पंजाब में और आसपास के राज्‍यों से जलने वाली पराली से भी दिल्‍ली में प्रदूषण का स्‍तर काफी बढ़ जाता है.

 

दिल्‍ली-एनसीआर में पटाखों की सबसे बड़ी बजार सदर बाजार है. यहीं से आसपास के सभी शहरों में पटाखे की सप्लाई होती थी. दिल्‍ली में लगातार एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स खराब होने के कारण केजरीवाल सरकार ने 2016 से ही पटाखों की बिक्री, उपयोग और स्‍टोर पर प्रतिबंध लगा रखा है. इस साल भी दिल्‍ली सरकार ने पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है. सदर बाजार में पटाखों के व्‍यापारियों में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है.  इस संबंध में सदर बाजार फायर वर्क्‍स ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्‍यक्ष नरेन्‍द्र गुप्‍ता का कहना हैं कि पटाखों का काम व्‍यापारी दो तरह से करते हैं, एक स्‍थाई लाइसेंस से और दूसरा अस्‍थाई लाइसेंस से करते है.

वे कहते हैं कि अस्‍थाई लाइसेंस वाले हैंड टू माउथ होते हैं, दिवाली के दौरान होने वाली कमाई से व्‍यापारी का पूरे साल का गुजारा चलता है. एक अस्‍थाई लाइसेंस से 20 से 25 परिवार को गुजारा चलता है. पहले केवल सदर बाजार में 175 अस्‍थाई लाइसेंस लिए जाते थे, लेकिन अब संख्‍या 17 के करीब हो गई है. वर्ष 2019 में करीब 15 करोड़ का कारोबार हुआ था, लेकिन 2020 में केवल चार दिन के लिए लाइसेंस दिए गए थे, जिससे व्‍यापारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. वे बताते हैं कि प्रदूषण को देखते हुए ग्रीन पटाखों का प्रोडक्‍शन और बिक्री शुरू की गई थी, लेकिन सरकार ने अब वो भी बंद कर दिया है.

सदर बाजार फेडरेशन के अध्‍यक्ष राकेश यादव का कहना है कि सरकार का फैसला सही है लेकिन गलत समय पर लिया गया है. शिवाकाशी में पूरे साले पटाखों का उत्पादन होता हैं. पटाखा व्‍यापारी दिसंबर या जनवरी में एडवांस में पटाखे बुक करा देते हैं. इसके लिए कुछ व्यापारी लोन लेकर भी एडवांस भुगतान करते हैं. इस समय व्‍यापारियों का माल गोदाम में आ चुका है.सवाल ये है कि अब ये व्‍यापारी पटाखों का क्‍या करेंगे. बल्कि इस तरह प्रतिबंध लगाने से लोग आसपास के शहरों से चोरी छिपे पटाखे लेकर आते हैं और दिवाली में छुड़ाते हैं, जिससे प्रदूषण फैलता है. दिल्‍ली सरकार को अगर पटाखे बंद ही करने हैं तो केन्‍द्र सरकार से बातकर इनका प्रोडक्‍शन ही बंद करना चाहिए , तभी दिल्‍ली सरकार का उद्देश्‍य सफल  होगा.

-भारत एक्सप्रेस

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