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सुप्रीम कोर्ट से अनिल जिंदल को मिली बड़ी राहत, वित्तीय धोखाधड़ी मामले में जमानत

एसआरएस ग्रुप के चेयरमैन अनिल जिंदल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने अनिल जिंदल वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दिया है. सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने जमानत देते हुए कहा कि अगर जमानत के शर्तो का उल्लंघन किया जाता है तो जमानत रद्द करने की मांग कोर्ट से किया सकती है.

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि जिंदल 6.5 साल से जेल में बंद है. इस मामले में 298 गवाह है, जिनके बयान दर्ज किया जा रहा है. 81 आरोपी है. 11 दिसंबर को कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अनिल जिंदल को अन्य मामलों में जमानत मिल चुकी है.

6 साल से जेल में बंद है अनिल जिंदल

इस मामले में अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि इसमें कितनी राशि शामिल है? 770 करोड़, हम समझते हैं कि जमानत नियम है, जेल नही, लेकिन कुछ अपवाद होने चाहिए. वे 770 करोड़ की रकम की ठगी नही कर सकते और अभी 3 साल हुए हैं, मुझे जमानत मिल गई हैं, मुकदमों को समाप्त होने में 20 साल लगेगें. जिसपर याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुरलीधर ने कोर्ट के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि जिंदल कुल 6 साल से जेल में बंद है और मौजूदा मामले में जमानत मिल चुकी है.

एसआरएस ग्रुप के खिलाफ दर्ज थे 22 केस

2023 में ट्रायल कोर्ट ने जिंदल को जमानत दे दी. हालांकि इस साल पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था, क्योंकि उसका मानना था कि ट्रायल कोर्ट कंपनी अधिनियम की धारा 212 (6) में निहित कठोर शर्तो का पालन करने में विफल रहा है. एसआरएस ग्रुप के चेयरमैन अनिल जिंदल समेत कंपनी के कई अधिकारियों को फरीदाबाद पुलिस ने सबसे पहले गिरफ्तार किया था. इस मामले में एसआरएस ग्रुप के खिलाफ पुलिस में 22 केस दर्ज थे.

सभी आरोपियों को दिल्ली के महिपालपुर में एक होटल से गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार किए गए लोगों में बिशन बंसल, नानक चंद ताएल, विनोद मामा और देवेंद्र अधाना शामिल है. एसआरएस ग्रुप पर बैंकों से हजारों करोड़ रुपये का कर्ज लेकर नहीं लौटने का भी आरोप है. अनिल जिंदल ने एसआरएस कंपनी बना कर रिटेल, सिनेमा, ज्वेलरी और प्रॉपर्टी समेत कई तरह के कारोबार शुरू किए थे. इन सभी कारोबार को चलाने के लिए लोगों से ब्याज पर हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति एकत्र की गई. लेकिन 2015 से कंपनी ने निवेशकों को ब्याज देना बंद कर दिया. जिसके बाद शहर में लोगों ने हंगामा किया और कई जगहों पर धरना और प्रदर्शन किया.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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