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मेधा पाटकर की याचिका पर 19 मई को सुनवाई करेगा दिल्ली हाई कोर्ट, मानहानि मामले में साकेत कोर्ट दे चुका है सजा

नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और कार्यकर्ता मेधा पाटकर की ओर से दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट 19 मई को सुनवाई करेगा. मेधा पाटकर ने साकेत कोर्ट के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. मेधा पाटकर ने साकेत कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. साकेत कोर्ट ने पांच महीने की साधारण कारावास की सजा और 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. जिसके खिलाफ मेधा पाटकर ने सेंशन कोर्ट में अपील दाखिल की थी.

जिसको कोर्ट ने खारिज कर दिया था. मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली के उप राज्यपाल की ओर से पेश वकील ने मेधा पाटकर को आत्मसमर्पण करने का निर्देश देने का आग्रह करते हुए कहा था कि मेधा पाटकर की याचिका सुनवाई योग्य नही है, उसे खारिज कर देना चाहिए. क्योंकि मेधा पाटकर ने अपनी याचिका में हस्ताक्षर नही किया है. जिसपर कोर्ट ने मेधा पाटकर से अपील की कॉपी पर हस्ताक्षर के साथ जज की आधिकारिक ईमेल पर मेल भेजने को कहा था.

40 हजार रुपए का दिया चेक

बता दें कि मेधा पाटकर के खिलाफ दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने पाटकर के खिलाफ 25 नवंबर 2000 को अहमदाबाद की एक अदालत में मानहानि का शिकायत किया था और उसमें पाटकर की एक प्रेस नोट का हवाला दिया था. प्रेस नोट देशभक्त का असली चेहरा शीर्षक से था और उसमें कहा गया था कि हवाला लेन देन से दुखी वीके सक्सेना खुद मालेगांव आये. एनबीए की तारीफ की और 40 हजार रुपए का चेक दिया. लेकिन चेक भुनाया नहीं जा सका और बाउंस हो गया. जांच करने पर बैंक ने बताया कि खाता मौजूद ही नही है.

मेधा पाटकर ने यह भी कहा था कि सक्सेना कायर है, देशभक्त नहीं. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि मेधा पाटकर की हरकतें जानबूझकर और दुर्भाग्यपूर्ण थी, जिसका उद्देश्य सक्सेना की छबि को धूमिल करना था. इससे उनकी छवि और साख को काफी नुकसान पहुचा है. उनके लगाए गए आरोपी भी न केवल मानहानिकारक है, बल्कि नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए भी गढ़े हुए है. इसके अलावा यब आरोप है कि शिकायतकर्ता गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रखा रहा है. यह उनकी ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा पर सीधा हमला है.

ये भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिलने का रास्ता साफ

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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