26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक भवन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में 53 करोड़ से ज्यादा ऐसे भारतीयों का बैंक खाता खुला है, जो बैंक के दरवाजे तक नहीं पहुच पाते थे. पिछले 10 सालों में 4 करोड़ ऐसे भारतीयों का पक्का घर मिले हैं, जो कई पीढ़ियों से बेघर थे. पिछले 10 सालों में 10 करोड़ से ज्यादा ऐसी महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन मिला है, जो वर्षों से अपने घर में गैस पहुंचने का इंतजार कर रही थीं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अब संविधान पूरी तरह लागू हो गया है. आज पहली बार वहां संविधान दिवस मनाया गया. हमारा संविधान, हमारे वर्तमान और हमारे भविष्य का मार्गदर्शक है. आज हर देशवासी का एक ध्येय है- विकसित भारत का निर्माण. भारतीयों को त्वरित न्याय मिले, इसके लिए नई न्याय संहिता लागू की गई है. दंड आधारित व्यवस्था अब न्याय आधारित व्यवस्था में बदल चुकी है. पीएम ने कहा कि आज देश का जोर है कि लोगों का जीवन आसान करे, सबको बिजली का कनेक्शन देकर उनके जीवन को रोशन किया है. पीएम ने कहा कि मिशन इंद्रधनुष के जरिये टीकाकरण को आसान किया गया है.
वहीं भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने अपने संबोधन में कहा कि 75 वर्ष पहले भारत ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया. हमें उस संविधान को बचाकर रखना है. सीजेआई ने कहा हमारी पहली ड्यूटी जनता के लिए है, जनता को केंद्र में रखकर हमें सोचना होगा. सीजेआई ने कहा कि संविधान न्यायिक समीक्षा के लिए अदालतों को शक्ति प्रदान करता है. हम जनहित याचिका पर विचार करते हैं और मामलों का निर्णय लेने में मदद के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त करते हैं. जज के रूप में दृष्टिकोण और आलोचना मायने रखती है. खुला और पारदर्शी होना न्यायपालिका की सबसे बड़ी ताकत है.
सीजेआई खन्ना ने कहा रचनात्मक होने के लिए उत्तरदायी होने से हम अधिक जवाबदेह बन जाते हैं. संविधान अपने डिजाइन के अनुसार न्यायपालिका को चुनावी प्रक्रिया के उतार-चढ़ाव से बचाता है. यह सुनिश्चित करता है कि निर्णय निष्पक्ष और इच्छा से मुक्त हों. सीजेआई ने कहा प्रत्येक शाखा को अपने संवैधानिक डिजाइन का सम्मान करना चाहिए. न्यायिक स्वतंत्रता ऊंची दीवार के रूप में नहीं बल्कि उत्प्रेरक के रूप में कार्य करती है.
सीजेआई ने कहा कि अकेले इस साल हमारी जिला अदालतों में 2.8 हजार करोड़ से अधिक मामले आए, हाईकोर्ट में लगभग 16.6 लाख मामले और सुप्रीम कोर्ट में 54 हजार मामले आए. इस प्रकार यह आश्चर्य की बात नहीं है कि जिला अदालत में 5.4 करोड़ से अधिक मामले और हाईकोर्ट में 61 लाख मामले लंबित हैं.
संविधान दिवस के इस मौके पर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने हमारे संवैधानिक मूल्यों की आधारशिला के रूप में भाईचारे पर जोर दिया. उनके शब्दों में यह लोकतंत्र के लिए एक और शब्द था और हमें उस दृष्टिकोण को स्पष्ट करना जारी रखना चाहिए. हमें अपने राष्ट्र की प्रगति सुनिश्चित करने के लिए इस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि आज एक ऐसे दस्तावेज को चिह्नित करने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, जिसने एक नई सामाजिक व्यवस्था की शुरुआत की. संविधान सभा के प्रत्येक सदस्य के विचार अलग-अलग थे, लेकिन इसके बावजूद वे एक ऐसा संविधान देने के लिए एकजुट हुए जो अधिकारों की रक्षा करता है और स्वतंत्रता की गारंटी देता है. संविधान और लोगों के बीच स्थाई संबंध सुरक्षात्मक और उत्प्रेरक है.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने कहा कि कानून के शासन के लिए बेंच और बार दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर अपनी संवैधानिक भूमिका पूरी तरह से निभाई है और दुनिया भर की संवैधानिक अदालतों के लिए एक मॉडल रही है, जिसमें बुनियादी संरचना सिद्धांत, पीआईएल, निजता का अधिकार जैसे कुछ नाम शामिल हैं. किसी भी राष्ट्र में विचलन होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि अदालतें अपने कर्तव्य के प्रति सतर्क रहें. हम सभी को जनता के प्रति प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ना चाहिए. हमें कठिन प्रश्नों के सैद्धांतिक और कल्पनाशील उत्तर तैयार करने चाहिए.
बार काउंसिल के अध्यक्ष और बीजेपी के राज्यसभा सांसद मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि हर कोई जानता है कि भारत का लिखित संविधान सबसे लंबा, लेकिन हमेशा चलने वाला है, पाकिस्तान और बांग्लादेश के पास भी यह था लेकिन उनके पास बिखरा हुआ सैन्य नेतृत्व और संघर्ष था. पीएम मोदी की वजह से हमारी अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी है.
मिश्रा ने आगे कहा कि जो लोग सरकार पर हमला कर रहे हैं और लोगों को गुमराह कर रहे हैं कि मोदी सरकार संविधान बदल देगी, उन्हें 42वें संशोधन के बारे में अतीत सिखाने की जरूरत है. यह हास्यास्पद है कि जिन लोगों ने संविधान को लगभग खत्म कर दिया था, वे आरक्षण के साथ-साथ इसे भी खतरा बता रहे हैं.
मनन कुमार मिश्रा ने यह भी कहा कि हरियाणा और महाराष्ट्र के लोगों ने इस हकीकत को समझा और पीएम मोदी पर भरोसा जताया. संविधान के जीवित दस्तावेज होने के विचार वास्तव में 2014 के बाद ही साकार हो सकेत्र CAA, अनुच्छेद-370 का उन्मूलन, महिलाओं के लिए आरक्षण, ये सभी हमारे संविधान के भाग 3 से निकले हैं, लेकिन इसका दुरुपयोग राजनीतिक और खतरनाक है.
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान और आरक्षण प्रणाली का मजाक उड़ाना दुरुपयोग का एक ज्वलंत उदाहरण है. झारखंड और अन्य जगहों पर अवैध धर्मांतरण और आप्रवासन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. ये सब करने देने वाला व्यक्ति वहां सत्ता में बैठा है. सुप्रीम कोर्ट अगर चुप रहेगा तो ये भयावह ताकतें सफल हो जाएंगी और उन्हें केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा.
मनन कुमार मिश्रा ने अंत में कहा कि मैं सरकार के पक्ष में फैसला नहीं कर रहा हूं, जनहित में फैसला करता हूं, लेकिन नीतिगत मामलों में केंद्र सरकार के साथ रहकर अन्याय रोका जाना चाहिए. हम अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देते हैं.
कार्यक्रम में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा कि आज का दिन किसी अनुष्ठान या समारोह के रूप में नहीं बल्कि इस अवसर को मनाने के लिए स्टॉक लेने का दिन है. पवित्र दस्तावेज को भावी पीढ़ियों तक पहुंचाना, हम सभी संविधान के संरक्षक हैं, लेकिन हम कितने वफादार हैं? हम दूरियों को पाटने में कितने सफल हैं और उन चीजों को संबोधित करने में कितने सफल हैं जो हमारे सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर सकती हैं.
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि शक्तियों का पृथक्करण कई अवतार ले सकता है, लेकिन हमारे सामने मौजूद विभिन्न चुनौतियों को देखते हुए हमें उम्मीद है कि संसदीय विचार-विमर्श और प्रक्रिया अनावश्यक रूप से नहीं रुकेगी. हमें एक राष्ट्रीय आपराधिक न्याय प्रशासन संस्थान के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए.
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा हमारा संविधान हमारी अखंडता, एकता आदि का प्रतीक है. भारत का ये पवित्र दस्तावेज हमारे लिए गाइडिंग फोर्स है. पीएम मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा है, हम सब मिलकर उसे जरूर पूरा करेंगे.
-भारत एक्सप्रेस
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