पूर्व क्रिकेटर और भारतीय टीम के मौजूदा मुख्य कोच गौतम गंभीर (Gautam Gambhir Flat Fraud Case) को राऊज एवेन्यू कोर्ट से झटका लगा है. राऊज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल गोगने को कोर्ट ने फ्लैट खरीदारों के साथ कथित धोखाधड़ी के मामले में गौतम गंभीर को बरी किए जाने को खारिज कर दिया है.
राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए आरोपों को नए सिरे से जांच के आदेश दिए है. कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए यह भी कहा कि यह आदेश गौतम गंभीर के खिलाफ आरोपो पर फैसला करने में अपर्याप्त मानसिक अभिव्यक्ति को दिखाता है. उक्त आरोप गौतम गंभीर की भूमिका की आगे की जांच के लायक है.
यह मामला रियल एस्टेट कम्पनियों रुद्र बिल्डवैल, एच आर इंफ्रासिटी और यू एम आर्किटेक्चर्स जुड़ा हुआ है. इन कम्पनियों और उनके निदेशकों पर आरोप है कि उन्होंने फ्लैट खरीदारों से धोखाधड़ी की. कोर्ट ने कहा कि गंभीर इकलौते आरोपी है जिनका ब्रांड एम्बेसडर होने के नाते निवेशकों के साथ सीधा जुड़ाव था और उन्हें बरी कर दिया गया है. हालांकि मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश में इस बात का कोई जिक्र नही था कि गंभीर को कंपनी से 4.85 करोड़ रुपये मिले और उन्हें 6 करोड़ रुपये देने पड़े.
आरोपियों ने कथित तौर पर 2011 में इंदिरापुरम, गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश में सेरा बेला नामक एक आवास परियोजना का संयुक्त रूप से प्रचार और विज्ञापन किया था, जिसे 2013 में पावो रियल नाम दिया गया था. अदालत ने कहा कि चूंकि आरोपों का मूल धोखाधड़ी के अपराध से संबंधित है, इसलिए यह जरूरी था कि चार्जशीट और आदेश में यह होना चाहिए कि क्या धोखाधड़ी की राशि का कोई हिस्सा गंभीर के हाथ आया था.
-भारत एक्सप्रेस
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