सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपी नेता रामावतार जग्गी हत्याकांड मामले के दो दोषियों को राहत देते हुए उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया है. यह आदेश सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने दिया है. अदालत ने मामले में दोषी याह्या ढेबर की सजा के निलंबन और उसे जमानत देने के अनुरोध की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. जबकि कोर्ट ने दो दोषियों अभय गोयल और फिरोज सिद्धकी की जमानत मंजूर करते हुए उनकी आजीवन कारावास की सजा निलंबित कर दी.
यह हत्याकांड साल 2003 में हुआ था, जब 4 जून को पूर्व कांग्रेसी नेता विद्या चरण शुक्ल की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष जग्गी की रायपुर के मुख्य बाजार में गाड़ी चलाते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
कारोबारी परिवार के रामावतार जग्गी देश के बड़े नेताओं में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ल के बेहद करीबी थे. शुक्ल जब कांग्रेस छोड़कर एनसीपी में शामिल हुए तो जग्गी भी उनके साथ-साथ गए. विद्या चरण ने जग्गी को छत्तीसगढ़ में एनसीपी के कोषाध्यक्ष बना दिया था.
जग्गी हत्याकांड का मुख्य आरोपित याहया ढेबर रायपुर के ढेबर बंधुओ में से एक है. पांच भाइयों में एजाज ढेबर शराब कारोबारी है. छतीसगढ़ के शराब घोटाला केस में ईडी ने उसे छह मई 2023 को गिरफ्तार किया था. हालांकि बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था. छतीसगढ़ हाई कोर्ट ने 4 अप्रैल को जग्गी हत्या मामले में शामिल 28 आरोपियों को उम्रकैद की सजा के फैसले को सही ठहराया था.
इनमें से एक अन्य आरोपी बुलठू पाठक की मौत हो चुकी है. इस मामले में निचली अदालत ने 31 मई 2007 को कुछ आरोपितों को बरी करते हुए शेष आरोपितों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट ने उस फैसले को बरकरार रखा था.
-भारत एक्सप्रेस
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