SC On Waqf Amendment Act: वक्फ संशोधन कानून को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 7 दिन में जवाब मांगा है. सरकार के जवाब के बाद याचिकाकर्ता 5 दिन में अपना जवाब दाखिल करेंगे. सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा कि 1995 के वक्फ अधिनियम और 2013 में किए गए संशोधनों को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं को इस सूची से अलग से दिखाया जाएगा.
2025 के मामले में रिट दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं को विशेष मामले के रूप में जवाब दाखिल करने की स्वतंत्रता है. सीजेआई ने कहा कि अगली तारीख पर सुनवाई केवल निर्देशों और अंतरिम आदेशों के लिए होगी, यदि कोई हो.
कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल के उस बयान को रिकॉर्ड पर लिया कि अगले आदेश तक वक़्फ़ बोर्ड और काउंसिल में कोई नियुक्ति नहीं होगी और, अधिसूचना के जरिए वक़्फ़ घोषित हो चुकी प्रॉपर्टी को भी अगले आदेश तक डिनोटिफाइ नहीं किया जाएगा. इसमें वक़्फ़ by user प्रॉपर्टी भी शामिल हैं. कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल के उस बयान को रिकॉर्ड पर लिया कि अगले आदेश तक वक़्फ़ बोर्ड और काउंसिल में कोई नियुक्ति नहीं होगी.
अधिसूचना के जरिए वक़्फ़ घोषित हो चुकी प्रॉपर्टी को भी अगले आदेश तक डिनोटिफाइ नहीं किया जाएगा. इसमें वक़्फ़ by user प्रॉपर्टी भी शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या वक्फ बाय यूजर को खत्म करना वाजिब होगा?
कोर्ट ने पूछा था कि यदि मस्जिदे सैकडों साल पुरानी है और उनके पास दस्तावेज नहीं है, तो क्या हम उनसे अब रजिस्ट्री मांग सकते है? कोर्ट ने यह भी पूछा था कि अगर संपत्ति पर उपयोग लंबे समय से धार्मिक है, तो फिर उसे कैसे खारिज किया जाएगा? इतना ही नही सुप्रीम कोर्ट ने कलेक्टर को लेकर दिए गए अधिकार पर भी सवाल उठाया था. कोर्ट ने पूछा था कि कलेक्टर को यह अधिकार क्यों दिया गया कि वह तय करे कि कोई संपत्ति वक्फ है या नही? यह कार्य तो न्यायपालिका का होना चाहिए.
वही सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि इस्लाम में उत्तराधिकार मृत्यु के बाद होता है. फिर सरकार कैसे तय करेगी कि कौन मुस्लिम है-?, उन्होनें यह भी कहा कि राज्य यह कैसे तय करेगा कि महिलाओं को वक्फ में हिस्सा मिलेगा या नही. सिब्बल ने मुस्लिम पर्सनल लॉ में अनुचित सरकारी हस्तक्षेप बताया था और कहा था कि यह संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन है.
सीजेआई ने कहा धर्मनिरपेक्ष कानून सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होते है. जैसे हिंदी कोड़ बिल में बदलाव हुआ, वैसे ही मुस्लिम समुदाय के लिए भी संसद कानून बना सकती है. केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह कानून व्यापक विचार विमर्श के बाद बना है. इसको लेकर जेपीसी की कई बैठके हुई. जेपीसी ने लगभग 98 लाख ज्ञापनों की समीक्षा की है. इसका मकसद पारदर्शिता और व्वफ सम्पत्तियों का सही प्रबंधन है.
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-भारत एक्सप्रेस
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