कला-साहित्य

Mithila Art – A 360-Degree Review: मिथिला कला की समग्र पुस्तक का लोकार्पण, मधुबनी की सांस्कृतिक धरोहर का व्यापक अध्ययन

Mithila Art A 360-Degree Review Book: मधुबनी कला को पुनर्जीवित और बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक समग्र साहित्यिक कृति ‘मिथिला आर्ट: ए 360 डिग्री रिव्यू’ का लोकार्पण नई दिल्ली के ललित कला अकादमी में किया गया.

मिथिला कला, जिसे बिहार के मधुबनी जिले में अपनी उत्पत्ति के कारण मधुबनी कला के रूप में जाना जाता है, बिहार और नेपाल में प्रचलित एक प्राचीन कला है, जिसने अपनी क्षेत्रीय सीमाओं को पार कर वैश्विक पहचान हासिल की है.

‘मिथिला आर्ट: ए 360 डिग्री रिव्यू’

इस को लिखने में सह-संपादक बिनीता मल्लिक (मिथिलंगन, नई दिल्ली), डॉ. मीनू अग्रवाल (सीईपीटी विश्वविद्यालय), डॉ. लारा जिज़का (ईएचएल, स्विट्जरलैंड) और प्रोफेसर (डॉ.) प्रशांत दास (आईआईएम अहमदाबाद) ने सहयोग दिया है. इन लोगों ने अपने अनुभवों और खोजों को इस पुस्तक में समाहित किया है.

इस पुस्तक को नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के सचिव चंचल कुमार सहित अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा सम्मानित किया गया.

कई महीनों तक इस पर काम चला

मुंबई स्थित डिज़ाइन फर्म डिजाइनफ्लाईओवर (डीएफओ) ने महीनों तक हर पृष्ठ को कला के एक उत्कृष्ट नमूने के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, जिससे यह पुस्तक न केवल जानकारीपूर्ण है, बल्कि दृष्टिगत रूप से भी अद्वितीय है.

डॉ. मीनू अग्रवाल ने कहा, “यदि आपके पास मिथिला कला का एक टुकड़ा है, लेकिन इसके गहन अर्थ को समझना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए है. यह आपको इस कला के अनजाने पहलुओं से रूबरू कराएगी.”

2018 में स्विट्जरलैंड में की गई परिकल्पना

पूर्वावलोकन पर टिप्पणी करते हुए प्रो. प्रशांत दास ने कहा, “मिथिला कला से मेरा संबंध व्यक्तिगत है, क्योंकि मैं इसके मूल क्षेत्र से आता हूं. इस कला की महत्ता को देखते हुए इसे अधिक व्यापक रूप से समझाने की आवश्यकता थी. यह परियोजना 2018 में स्विट्जरलैंड में परिकल्पित की गई थी.”

डॉ. लारा जिज़का ने कहा, “यह एक प्रेरणादायक और सार्थक कार्य है! 21वीं सदी की भागदौड़ भरी दुनिया में यह पुस्तक हमें हमारी जड़ों की याद दिलाती है.”

संपादक बिनीता मल्लिक ने बताया, “हर क्षेत्र की अपनी एक विशेष भाषा और व्याकरण होता है, जिसे समझने के लिए अध्ययन आवश्यक है. हमने इसी विचार को इस पुस्तक के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है.”

आदर्श बुक्स, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक 2024 में अपने पहले संस्करण के लिए तैयार है.

पुस्तक के बारे में

‘मिथिला आर्ट: ए 360 डिग्री रिव्यू’ मिथिला कला को समझने में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में कार्य करती है. यह पारंपरिक कला रूपों और आधुनिक सांस्कृतिक अध्ययनों के बीच की खाई को पाटती है और मिथिला कला को एक जीवंत, विकसित होती कला के रूप में प्रस्तुत करती है.

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