रशियन अंडरग्राउंड सबमरीन जो की जमीन के अंदर ड्रिलिंग करते हुए दुश्मन देश के अंदर तक पहुँच सकती है. आम तौर पर टनेल बोरिंग मशीन छह हज़ार टन वजनी होती है जिसे चालीस मीटर का छेद करने में चौबीस घंटे का समय लगता है लेकिन उसके द्वारा बनाई गयी यह न्यूक्लियर सबमरीन जमीन में दस किलोमीटर पेर हूर की रफ्तार से छेद कर सकती थी. इस सबमरीन के आगे बहुत ही पावरफुल ड्रिल बिट लगा हुआ था जो एक हज़ार आरपीएम की रफ्तार से नाचता था.
इस न्यूक्लियर सबमरीन के अंदर पंद्रह सैनिकों के रहने की व्यवस्था थी जिसमें टॉयलेट के और स्लीपिंग अपार्टमेंट भी थी क्योंकि यह न्यूक्लियर सबमरीन न्यूक्लियर एनर्जी से चलती थी. इसलिए इसे फ्यूल की कोई कमी नहीं थी और यह बिना रुके किसी भी देश को आर पार करने की क्षमता रखती थी.
लेकिन सेकंड टेस्टिंग के दौरान इसके न्यूक्लियर रिएक्टर का तापमान जरूरत से ज्यादा बढ़ गया और इसमें धमाका हो गया जिसके बाद सोवियत यूनियन के साइंटिस्ट ने इस प्रोजेक्ट को बंद कर दिया.
इसी के साथ आपको यह पता होना चाहिए ये हमारे भारत में नौ किलोमीटर अटल टनल को बनाने में बीस साल का समय लगा जो दो हजार दो से दो हज़ार बीस में पूरा हुआ.
-भारत एक्सप्रेस
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