Chhath Puja 2024 Pujan Samagri List: इस साल छठ पूजा का शुभारंभ 5 नवंबर को नहाय-खाय के साथ होने जा रहा है. लोक आस्था के इस महापर्व में मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया की उपासना की जाती है. छठ व्रत के दौरान व्रती 36 घंटे तक निर्जल व्रत रखते हैं. इसलिए छठ व्रत की गिनती सबसे कठिन व्रतों में से की जाती है. छठ पूजा में पूजन सामग्रियों का विशेष महत्व है. कुछ पूजन सामग्रियां ऐसी हैं, जिनके बिना छठ महापर्व अधूरा माना जाता है. ऐसे में यहां जानिए छठ पूजा के लिए जरूरी पूजन सामग्री और इसका धार्मिक महत्व.
छठ पूजा के लिए पूजन सामग्री- तांबे का लोटा, थाली, दूध, शुद्ध जल, नारियल, सिंदूर, कपूर, कुमकुम, अक्षत और चंदन.
भोग सामग्री- ठेकुआ, खीर-पूड़ी, खजूर, सूजी का हलवा, चालव के लड्डू. छठ पूजा में ये भोग सामग्री विशेष महत्व रखते हैं. इन भोग सामग्रियों को छठ व्रती महिलाएं खुद तैयार करती हैं.
छठ घाट पर ले जाने के लिए- छठ घाट पर छठी मैया और सूर्य देव के निमित्त प्रसाद ले जाने के लिए बांस की टोकरी और सूप का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए 3 बांस की टोकरी और 3 सूप की आवश्यकता होती है. ऐसे में छठ पूजा के लिए इन सामग्रियों का विशेष महत्व है.
फल और सब्जियां- सेब, सिंघाड़ा, मूली, नाशपाती, केले (गुच्छे सहित), शकरकंदी, गन्ने (पत्ते के साथ) जैसे फल और सब्जियां छठ पूजा के अहम अंग हैं. इनके बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है.
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हिंदू धर्म में चार दिवसीय छठ पूजा का विशेष महत्व है. छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय होता है. इस दिन छठ व्रती महिलाएं घर की साफ-सफाई करती हैं और किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करती हैं. इस साल छठ पूजा का नहाय-खाय 5 नवंबर को है.
छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता है. खरना के दिन व्रती महिलाएं या पुरुष उपवास रखते हैं. शाम के समय गुड़ और चावल का खीर का प्रसाद बनाया जाता है. यह प्रसाद छठि मैया को भोग लगाया जाता है. इसके बाद छठ व्रती समेत घर के सदस्य इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं. इस साल छठ का खरना पूजा
छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के समय अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. छठ घाट पर सभी पूजन सामग्रियों को बांस की टोकरी और सूप में लेकर जाया जाता है. सूर्यास्त से समय छठ व्रती नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्यास्त की प्रतीक्षा करते हैं और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं.
छठ पूजा के चौथे दिन उदीयमान यानी उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. इस दिन सूर्योदय से पहले छठ घाट पर पूजन सामग्रियों के साथ पहुंचा जाता है. छठ व्रती नदी या तालाब में जाकर हाथ में नारियल और फल लेकर सूर्य देव के उगने की प्रतीक्षा करते हैं. सूर्योदय होने पर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
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